विधेयक शीतकालीन सत्र में यौनकर्मियों के पुनर्वास का होगा पेश, सरकार ने दी सुप्रीम कोर्ट को जानकारी

केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वह देश में यौनकर्मियों की तस्करी रोकने और पुनर्वास के लिए शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में एक विधेयक ला रही है।

Update: 2021-11-29 18:42 GMT

नई दिल्ली, केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वह देश में यौनकर्मियों की तस्करी रोकने और पुनर्वास के लिए शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में एक विधेयक ला रही है। जस्टिस एल नागेश्वर राव और बीआर गवई की पीठ को अतिरिक्त सालिसिटर जनरल आरएस सूरी ने जानकारी दी कि केंद्र ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान यौनकर्मियों की तस्करी रोकने और पुनर्वास के लिए कानून लाने की योजना बनाई है।

इस बीच, अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) द्वारा चिह्नित यौनकर्मियों से राशन कार्ड या किसी अन्य पहचान प्रमाण की आवश्यकता पर जोर नहीं देने का निर्देश दिया और कहा कि न्यायालय के पूर्व के आदेशों के अनुसार महामारी की अवधि के दौरान उन्हें सूखा राशन प्रदान करें। पीठ ने कहा, भोजन के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मानव अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है।
हालांकि कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति में कुछ सुधार हुआ है। हमारा मानना है कि राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का यह संवैधानिक दायित्व है कि वे अपने नागरिकों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करें, जिसमें यौनकर्मी भी आते हैं और वे भी सूखे राशन के हकदार हैं। शीर्ष अदालत देश में यौनकर्मियों की समस्याओं के समाधान के अनुरोध वाली 2010 में एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
सर्वोच्‍च अदालत ने कहा कि हमने 2011 में यौनकर्मियों के पुनर्वास के लिए अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करने के लिए एक समिति गठित की है जिसने सिफारिशों के साथ एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है। अदालत ने कहा कि 27 फरवरी को अतिरिक्त सालिसिटर जनरल ने न्यायालय को सूचित किया था कि मंत्रियों का एक समूह मामले को देख रहा है और यह दो मसौदा कानून की जांच कर रहा है। मंत्रियों का यह समूह शीर्ष अदालत की ओर से गठित की गई समिति की सिफारिशों पर गौर करेगा।


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