क्षेत्रवार रिपोर्ट मांगी, बच्चों के भीख मांगने पर बाल संरक्षण आयोग को हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

Update: 2022-08-23 17:16 GMT

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली में बच्चों के भीख मांगने पर दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग के दावों पर सवाला उठाया है. चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने आयोग से इस मामले में क्षेत्रवार स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि रोज सड़क पर बच्चों का एक ही झुंड भीख मांगते नजर आता है. चीफ जस्टिस ने कहा कि मुझे दिल्ली आए लगभग दो महीने हो गए हैं. अपनी गाड़ी खुद ड्राइव करता हूं. उस दौरान हर रोज बच्चों का एक ही झुंड भीख मांगते नजर आता है. सुनवाई के दौरान दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने दावा किया कि बच्चों को भीख मांगने से बचाने के लिए उनके पास पुनर्वास के मसले पर लगातार काम हो रहा है. बच्चों के रेस्क्यू का काम लगातार जारी है. उसके बाद कोर्ट ने आयोग से दिल्ली के हर इलाके का स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.

याचिका वकील अजय गौतम ने दायर किया है. याचिका में बाल अधिकार संरक्षण कानून को लागू करने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया कि बच्चों से भीख मंगवाने के पीछे माफिया का सक्रिय हाथ है. माफिया पहले बच्चों का अपहरण करते हैं. फिर उन्हें प्रशिक्षित कर उन्हें भीख मांगने के लिए मजबूर करते हैं, लेकिन इन बच्चों को भीख मांगने से रोकने में सरकार और प्रशासन नाकाम है.याचिका में कहा गया है कि कोई भी बच्चा खुद के लिए भीख नहीं मांगता है. वह संगठित अपराध का शिकार होता है. याचिका में मांग की गई है कि दिल्ली में भीख मांगने वाले बच्चों की पहचान कर उनका पुनर्वास करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किया जाए. याचिका में कहा गया है कि सभी थानों के एसएचओ को ये निर्देश दिया जाए कि वे अपने क्षेत्र के इलाके में बच्चों द्वारा भीख मांगने को रोकने के लिए कदम उठाए और अपने थानों में इसके लिए एक अलग बीच अफसर की नियुक्ति करे.बहुविवाह को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई टलीवहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने मुस्लिम पुरुषों में बहुविवाह को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई टाल दी है. चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले पर अगली सुनवाई 30 अगस्त को करने का आदेश दिया है. 2 मई को कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका 28 वर्षीय एक मुस्लिम महिला रेशमा ने दायर किया है. याचिका में मांग की गई है कि मुस्लिम पुरुषों को अपनी पत्नी की सहमति के बिना दूसरी शादी करने को गैरकानूनी घोषित किया जाए.याचिका में कहा गया है कि मुस्लिम पुरुषों में बहुविवाह की प्रथा एक क्रूर परंपरा है और ये महिलाओं का अपमान करने वाला है. याचिका में कहा गया है कि शरीयत में बहुविवाह की अनुमति असाधारण परिस्थितियों में दी गई है. ये असाधारण परिस्थितियां पहली पत्नी की बीमारी या बांझपन हो सकती हैं. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को सूचित किया गया कि सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले पर सुनवाई कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को संविधान बेंच को रेफर किया है. याचिकाकर्ता ने जनवरी 2019 में मोहम्मद शोएब खान से दिल्ली में मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत शादी की थी. उसे 11 महीने का एक बच्चा है. उसके पति ने उसे वादा किया कि वो जीवन भर किसी दूसरे से शादी नहीं करेगा. अब उसका पति उसे तलाक देकर दूसरी शादी करना चाहता है.

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