नई दिल्ली न्यूज़: उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली सरकार की आबकारी नीति पर जांच बैठा दी है। एलजी ने सीबीआई से नई एक्साइज पॉलिसी के तहत टेंडर प्रोसेस की जांच करने को कहा है। दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी की रिपोर्ट में सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी। न्यूज एजेंसी PTI ने अधिकारियों के हवाले से कहा कि 'टेंडर में जान-बूझकर प्रक्रियागत खामियां छोड़ी गईं ताकि शराब लाइसेंसियों को अनुचित फायदा पहुंचे।' नई आबकारी नीति के तहत, 32 जोन्स में 849 दुकानों के रिटेल लाइसेंस जारी किए गए थे। भाजपा और कांग्रेस, दोनों प्रमुख विपक्षी दलों ने नई आबकारी नीति का कड़ा विरोध किया है। एलजी से भी शिकायत की गई थी। एलजी की ओर से सीबीआई जांच की सिफारिश दिल्ली सरकार को 48 घंटों के भीतर दूसरा झटका है। एलजी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सिंगापुर दौरे वाली फाइल को वापस कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक, ने फाइल लौटाते हुए सलाह भी दी कि मुख्यमंत्री को सिंगापुर समिट में नहीं जाना चाहिए, क्योंकि यह मेयरों की कॉन्फ्रेंस है और एक मुख्यमंत्री का उसमें शामिल होना उचित नहीं है।
दिल्ली की आबकारी नीति 2021-22 क्या है?: नई आबकारी नीति के जरिए दिल्ली सरकार शराब खरीदने का अनुभव बदलना चाहती थी। नई पॉलिसी में होटलों के बार, क्लब्स और रेस्टोरेंट्स को रात 3 बजे तक ओपन रखने की छूट दी गई है। वे छत समेत किसी भी जगह शराब परोस सकेंगे। इससे पहले तक, खुले में शराब परोसने पर रोक थी। बार में किसी भी तरह के मनोरंजन का इंतजाम किया जा सकता है। इसके अलावा बार काउंटर पर खुल चुकीं बोतलों की शेल्फ लाइफ पर कोई पाबंदी नहीं होगी।
दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति की खास बातें:
दुकान पर यह देखना होगा कि कम उम्र के व्यक्ति को शराब न बेची जाएगी। आईडी चेक किया जाएगा।
शराब की दुकान के बाहर स्नैक्स या खाने-पीने की दुकान नहीं खुल सकेगी ताकि खुले में शराब पीना कम हो।
सरकार किसी भी शराब की दुकान की मालिक नहीं होगी।
पॉलिसी में प्राथमिकता कंज्यूमर की चॉइस और ब्रैंड्स की उपलब्धता पर देनी है; स्मगलिंग और बूटलेगिंग रोकना है।
दिल्ली में शराब की दुकानें इस तरह हों कि कोई इलाका छूट न जाए और कहीं ज्यादा दुकानें न हो जाएं।
ई-टेंडरिंग के जरिए हर जोन ऑपरेटर के लिए नया L-7Z लाइसेंस होगा।
एलजी के एक्शन का स्वागत करते हैं। शराब नीति में बहुत सारी अनियमितताएं और भ्रष्टाचार हुआ है। यह सब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की निगरानी में हुआ है। हमने जो शिकायत की थी, उसमें तीन अहम बातें हैं। पहली, टेंडर की शर्तों के हिसाब से कॉर्टल यानी दो-तीन कंपनियों को एक करने की परमिशन नहीं थी। दस्तावेज के मुताबिक कार्टल हुआ है। टेंडर के हिसाब से ब्लैक लिस्टेड कंपनी को अनुमति नहीं थी, लेकिन दिल्ली में एक कंपनी को दो जोन डिस्ट्रीब्यूशन के लिए दिए गए। तीसरा रिटेल सेक्टर में मैन्युफेक्चरिंग कंपनी को परमिशन नहीं थी। मगर, इन निर्माता कंपनियों को दो जोन दिए। इसके दस्तावेज आबकारी विभाग को भी दिए थे।
हरीश खुराना, बीजेपी प्रवक्ता
दिल्ली में शराब के दीवानों के लिए क्या बदल चुका है?: हर दुकान पर वॉक-इन जैसा अनुभव। इसी मकसद से दुकान की डिजाइनिंग।
ग्राहकों को दुकान के बाहर भीड़ लगाने की इजाजत नहीं।
हर ग्राहक दुकान के भीतर आएगा, शराब चुनेगा और दुकान के भीतर ही लेन-देन पूरा होना चाहिए।
दुकानों में क्लोज्ड ग्लास डोर होना चाहिए, एयर-कंडीशंड और रोशन की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए।
हर दुकान में और आसपास सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम हों।
किन बातों की इजाजत नहीं?:
दुकान को लेकर आसपास के लोगों की कोई बड़ी शिकायत नहीं आनी चाहिए।
दुकान के चलते आसपास रहने वालों को कोई समस्या न हो।
ग्राहकों को कोई खास ब्रैंड खरीदने के लिए न कहा जाए।
दुकान के बाहर किसी तरह की ब्रैंडिंग नहीं होगी।
एक वार्ड में शराब की अधिकतम 27 दुकानें
नई आबकारी नीति पर क्या आपत्तियां हैं?:
नई नीति जो दिल्ली को 32 जोन में बांटती है, उसके मुताबिक बाजार में केवल 16 खिलाड़ियों को इजाजत दी जा सकती है और यह एकाधिकार को बढ़ावा देगी।
विपक्षी दलों का आरोप है कि नई आबकारी नीति के जरिए केजरीवाल सरकार ने भ्रष्टाचार किया।
दिल्ली में शराब के कई छोटे वेंडर्स दुकानें बंद कर चुके हैं। उनका कहना है कि कुछ बड़े प्लेयर्स अपने यहां स्टोर्स पर भारी डिस्काउंट से लेकर ऑफर्स दे रहे हैं, इससे उनके लिए बिजनेस कर पाना नामुमकिन हो गया है।
अदालतों में वकीलों ने कहा कि उन्हें थोक कीमत के बारे में पता है, लेकिन यह साफ नहीं है कि उन्हें किस दाम पर शराब की बिक्री करनी होगी।
नई आबकारी नीति को अदालत में भी चुनौती:
दिल्ली आबकारी नीति को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं दायर की गई हैं जिनमें आरोप लगाया गया है कि यह नीति अवैध, अनुचित, मनमानी है और दिल्ली आबकारी अधिनियम-2009 का उल्लंघन करती है। उन्होंने दिल्ली सरकार के 28 जून के ई-टेंडर नोटिस को भी रद्द करने की मांग की गई है, जिसमें शराब के खुदरा विक्रेताओं को 32 जोनल लाइसेंस देने के लिए जोन वाइज इलेक्ट्रॉनिक बोलियां मंगाने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया तय की गई है।
सुना है दिल्ली में शराब का कारोबार करने वाले मंत्री पर भी कार्यवाही होने वाली है! एक मंत्री पहले से जेल में है, दूसरा भी तैयार है!
गौतम गंभीर, सांसद पूर्वी दिल्ली
पिछले हफ्ते नई आबकारी नीति को चुनौती देने वाली एक और याचिका दायर की गई। इसमें कहा गया है कि देसी और विदेशी शराब की बिक्री के लिए 32 संभागीय लाइसेंस की अनुमति देना अवैध और मनमाना है। जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच के सामने जब यह याचिका सुनवाई के लिए आई तो उन्होंने कहा कि इसी तरह की याचिका पर चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई कर रही है।
चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने नई आबकारी नीति पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। खुदरा शराब बेचने वाले दुकानदारों के अनुसार नई नीति से साठगांठ को बढ़ावा मिलेगा। खुदरा शराब दुकानदारों का समूह रेडीमेड प्लाजा इंडिया प्राइवेट लि. की याचिका पर अदालत ने दिल्ली सरकार को नोटिस देते हुए मामले में अपना पक्ष रखने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई नौ अगस्त को होगी।
ई-टेंडर को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट की बेंच ने सरकार से कहा कि आप सबकुछ अनिश्चित्ता पर नहीं छोड़ सकते। अगर आप किसी व्यक्ति से कॉन्ट्रैक्ट की उम्मीद करते हैं तो उसे पता होना चाहिए कि इसमें उसे क्या मिलेगा। यह पूरी तरह मनमानी कवायद है। आपके मापदंड अधूरे हैं। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करते हुए ई-टेंडर के नियम और शर्तों को चुनौती देने वाली याचिका पर उसे चार हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। इस मामले में अगली सुनवाई 27 अगस्त को होगी।
दिल्ली सरकार का क्या तर्क था?:
पिछले हफ्ते हाई कोर्ट में दिल्ली सरकार ने कहा कि उसकी नई आबकारी नीति 2021-22 का मकसद भ्रष्टाचार कम करना और शराब व्यापार में उचित प्रतिस्पर्धा का अवसर मुहैया कराना है। सरकार ने कहा कि नीति के खिलाफ सभी आशंकाएं काल्पनिक हैं।