आखिर क्या है "Women Reservation Bill " और क्या पड़ेगा इसका महिलाओं पर असर, 15 साल बाद फिर लाया जाएगा बिल, यहां जानिए इसके बारे में सबकुछ ?

यहां जानिए इसके बारे में सबकुछ ?

Update: 2023-09-20 05:21 GMT
दिल्ली :नए संसद भवन में कार्यवाही के दौरान केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने पहला बिल पेश किया। विधेयक में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। इस बिल को नारी शक्ति वंदन कानून का नाम दिया गया है. इस बिल के पास होने के बाद लोकसभा और राज्यसभा में हर तीसरी सांसद महिला होंगी.
महिला आरक्षण बिल में क्या बदलाव होंगे?
इस बिल के कानून बनने के बाद लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 181 हो जाएगी, जो फिलहाल 82 ही है. यानी 181 सीटें चुनकर महिलाएं ही संसद पहुंचेंगी. इस बिल के अनुच्छेद 239AA में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण दिल्ली विधानसभा में भी लागू होगा. यह बिल न सिर्फ लोकसभा, राज्यसभा बल्कि सभी राज्यों की विधानसभाओं पर भी लागू होगा.
15 साल बाद फिर लाया जाएगा बिल
फिलहाल महिलाओं को आरक्षण देने वाला ये बिल 15 साल तक लागू रहेगा. अगर इसे जारी रखना है तो 15 साल बाद दोबारा बिल लाना होगा. एससी-एसटी महिलाओं को अलग से आरक्षण नहीं मिलेगा. आरक्षण के अंदर ही इस आरक्षण की व्यवस्था की गई है. वर्तमान में, लोकसभा में 84 सीटें अनुसूचित जाति के लिए और 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। कानून के बाद 84 में से 28 सीटें एससी महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी.
ओबीसी महिलाओं के लिए बिल में क्या है?
लोकसभा में फिलहाल ओबीसी के लिए कोई आरक्षण नहीं है, हालांकि अब कानून के बाद सामान्य और ओबीसी महिलाओं के लिए 137 सीटें आरक्षित होंगी. महिलाओं के लिए आरक्षण जुड़ने का फायदा यह हुआ कि वे अनारक्षित सीटों से भी चुनाव लड़ सकेंगी। यह बिल राज्यसभा में लागू नहीं होगा. यह सिर्फ लोकसभा और विधानसभाओं पर लागू होगा.
कब लागू होगा नया बिल?
कानून बनने के बाद भी इस बिल को लागू होने में समय लग सकता है. जानकारी के मुताबिक इसे परिसीमन के बाद ही लागू किया जाएगा और यह परिसीमन 2026 में किया जाना है. यानी यह बिल 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रभावी नहीं होगा.
संसद-विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी कितनी है?
देश की संसद और अधिकांश विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी 15 प्रतिशत से भी कम है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 19 विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी 10 फीसदी से भी कम है. संसद और विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए यह बिल पेश किया गया है।
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