नाबालिग लड़के का यौन उत्पीड़न करने की आरोपी महिला को मिला संदेह का लाभ, कोर्ट ने किया बरी
दिल्ली कोर्ट (Delhi Court) ने एक मामले में नाबालिग लड़के (Minor Boy) का यौन उत्पीड़न करने की आरोपी महिला को संदेह का लाभ (Benefit Of Doubt) देते हुए बरी कर दिया.
दिल्ली कोर्ट (Delhi Court) ने एक मामले में नाबालिग लड़के (Minor Boy) का यौन उत्पीड़न करने की आरोपी महिला को संदेह का लाभ (Benefit Of Doubt) देते हुए बरी कर दिया. कोर्ट ने इस दौरान पीड़ित लड़के का बर्थ सर्टिफिकेट भी जाली पाया. वहीं दूसरी ओर बोन ऑसिफिकेशन रिपोर्ट से पता चला है कि पीड़ित कथित हादसे के वक्त नाबालि नहीं था. दिल्ली पुलिस ने महिला को पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया था. इसके बाद उसे 70 दिनों की न्यायिक हिरासत के बाद जमानत दी गई थी. स्पेशल पॉक्सो जज कुनार रजत ने इस मामले में महिला को रिहा करते हुए कहा कि आरोपी महिला को संदेह का लाभ दिया जाना चाहिए और पीड़ित की उम्र 20 साल मानी जानी चाहिए.
कोर्ट ने किस आधार पर सुनाया फैसला?
कोर्ट ने 8 फरवरी को दिए आदेश में कहा, इस मामले में ऑसिफिकेशन टेस्ट 17 जून 2021 को किया गया था और घटना जनवरी 2020 की है. अगर पीड़ित की 17 जून 2021 को 20 साल मानी जाए और उसमें से अगर 2 साल घटा दिए जाएं तो जो ताकीख आती है वो है 17 जून 2019. इस तारीख को पीड़ित बालिग ही था. ऐसे में इसके 6 महीने बाद यानी जनवरी 2020 को भी पीड़ित बालिग ही रहेगा बच्चा नहीं.
कोर्ट ने कहा कि आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत कोई अपराध नहीं बनता. अदालत के पास मामले की सुनवाई करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है और क्योंकि आरोप पत्र धारा 328/376/506 के तहत भी दायर किया गया था, इसलिए मामले को कानून के मुताबिक सेशल कोर्ट में ट्रांसफर करने की जरूरत है.
ये मामला मेट्रोपॉलिटन के निर्देश पर थाना पश्चिम विहार पूर्व में दर्ज किया गया था. पाड़ित के परिवार ने आरोप लगया था कि आरोपी महिला ने होटल के एक कमरे में पीड़ित का यौन उत्पीड़न किया था. उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि महिला ने पीड़ित के पैसे चुराए और उसे धमकी भी दी. परिवार का दावा था कि पीड़ित एमसीडी द्वारा जारी बर्थ सर्टिफिकेट के मुताबिक नाबालिग था. इस शिकायत के आधार पर मजिस्ट्रेट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था.