एक मरे हुए व्यक्ति ने 2007 में जिंदा होकर बेच दिया प्लॉट, क्राइम ब्रांच ने शुरू की जांच

Update: 2022-07-03 05:31 GMT

दिल्ली क्राइम न्यूज़: 1997 में जिस शख्स की मौत हो गई थी वह 2007 में जिंदा हो गया। इस दौरान उसनेराशन कार्ड बनवाया, बैंक अकाउंट खुलवाया और अपनी एक संपत्ति भी बेच दी। घटना दिल्ली के रोहिणी की है। आरोप है कि शख्स ने डीडीए के अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जीवाड़ा कर लोगों की संपत्ति हड़पने का है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 25 साल पहले मर चुके एक शख्स के पोते के दीपक सिंह (38) के बयान पर धोखाधड़ी समेत विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

दीपक परिवार के साथ रोहिणी में रहते हैं उनके दादा दौलत सिंह ने उन्हे 330 वर्ग मीटर का प्लॉट दिया था। दादा को यह प्लॉट 1993 में मिला था, प्लाट पर डीडीए ने 1996 में कब्जा भी दे दिया। 18 दिसंबर 1997 में 73 वर्षीय दादा की मौत हो गई। उसके बाद इस प्लॉट पर दीपक व उनके परिवार का स्वामित्व व कब्जा था। नवंबर 2019 में कुछ लोग आए और प्लॉट अपना होनेका दावा किया, दीपक ने पुलिस कॉल कर दी। उन लोगों ने दावा किया कि यह प्लॉट उनका है, जो उन्होंने सतपाल ग्रोवर नामक शख्स से खरीदा था। दीपक ने उन्हें प्लॉट पर अपने स्वामित्व के कागजात दिखाए, जिसके बाद वे लोग चले गए।

आरटीआई में डीडीए ने फाइल बताई अनट्रेस: दीपक के अनुसार जब यह बात सामने आई तो वह जानकारी लेने डीडीए दफ्तर पहुंचे। काफी चक्कर लगाने के बाद भी उन्हे कोई जानकारी नहीं मिली। जिसके बाद उन्होंने आरटीआई लगाई। आरटीआई के जवाब में फाइल अनट्रेस बताई गई। पीड़ित के एक जानकार ने पीड़ित को डीडीए के एक कर्मी से मिलवाया पीड़ित उसे सुविधा शुल्क दिया तो फाइल उन्हे मिल गई।

फर्जीवाड़ा कर बेच दिया प्लाट: फाइल से जानकारी मिली कि किसी प्रवीण कुमार नामक शख्स ने दौलत सिंह के प्रतिनिधि के रूप में एक कंपनी को जुलाई 2011 में प्लॉट दे दिया था। उसी आरोपी ने 2007 और 2009 में भी प्लॉट फ्री होल्ड कराने की कोशिश की। 2011 में वह उसने प्लॉट को फ्री होल्ड करवा लिया। आरोपी ने दौलत सिंह के फर्जी हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान के साथ दस्तावेज तैयार कर फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। कारनामा किया। एफआईआर में पीड़ित ने डीडीए के अधिकारियों की मिलीभगत होने की आशंका जताई है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच मामले की जांच कर रही है। 

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