रोटी पर 5% तो पराठे पर देना होगा 18% GST, दोनों के टैक्स में अंतर की ये है असली वजह

Update: 2022-10-14 09:14 GMT

एक वस्तु और एक कर की व्यवस्था लागू हुए देश में 5 वर्ष से ज्यादा का समय बीत चुका है। बावजूद अभी तक टैक्स को लेकर स्थितियां क्लियर नहीं हुई हैं, जिसकी वजह से आए दिन विवाद होता रहता है। इन्हीं में रोटी और पराठे पर लगने वाला जीएसटी भी शामिल था। हालांकि, अब लगभग 20 महीने बाद इस पर अंतिम फैसला आ गया है। जिसमें कहा गया है कि अगर आप रोटी खरीदकर खाते हैं, तो आपको 5 प्रतिशत जीएसटी और पराठे खाते हैं, तो 18 प्रतिशत जीएसटी देना होगा।

आज से करीब 20 महीने पहले वाडीलाल इंडस्‍ट्रीज लिमिटेड की तरफ से पराठे पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने की वजह से विवाद हो गया था। इसके बाद कंपनी ने गुजरात अपीलेट अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग से पराठे पर 20 प्रतिशत जीएसटी लगाने की मांग की थी। इस पर कई बार की सुनवाई हुई लेकिन अंतिम फैसला नहीं आ सका था। लेकिन अब गुजरात अपीलेट अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग रोटी और पराठे के बीच के अंतर को स्पष्ट कर दिया है। अथॉरिटी की तरफ से कहा गया है कि रोटी और पराठे के आटे में अंतर होने के साथ-साथ बनाने में भी अंतर होता है। इसलिए पराठे पर 18 प्रतिशत और रोटी पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगाया जा सकता है।

इसके अलावा गुजरात अपीलेट अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग की तरफ से कहा गया है कि पराठे को पकाने में 3-4 मिनट का समय लगता है। वहीं, पराठे में आटे की मात्रा 36 से 62 प्रतिशत होती है। जबकि रोटी में आटे की प्रतिशतता अलग होती है।

अहमदाबाद की कंपनी, कंपी वाडीलाल इंडस्‍ट्रीज ने एएआर में पराठे पर जीएसटी की दर को लेकर अपील किया था। कंपनी की तरफ से कहा गया था कि उसकी तरफ से 8 तरह के पराठों की सप्लाई की जाती है। जिसमें मालाबार, मिक्‍स्‍ड वेजिटेबल, ओनियन, मेथी, आलू, लच्‍छा, मूली और प्‍लेन पराठा शामिल हैं। लिहाजा इसे प्‍लेन चपाती या रोटी की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता और इस पर जीएसटी की दर भी अलग होनी चाहिए।

इस वर्ष एक कंपनी दूध और फ्लेवर्ड दूध पर जीएसटी लगाने को लेकर फंस गई थी। जिसके बाद कंपनी ने एएआर के फैसले के खिलाफ अपील की थी। गुजरात एएएआर ने तब फैसला सुनाया था कि फ्लेवर्ड दूध, दूध से अलग है इसलिए यह जीएसटी छूट का लाभ नहीं उठा सकता है। फ्लेवर्ड मिल्क पर जीएसटी के तहत 12 फीसदी टैक्स लगता है, जबकि दूध पर छूट है।

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