आदिशंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा बनकर तैयार, सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह करेंगे उद्घाटन

शिवराज सिंह करेंगे उद्घाटन

Update: 2023-09-17 10:41 GMT
नई दिल्ली : तीर्थनगरी ओम्कारेश्वर में जगतगुरु आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा "स्टेच्यू ऑफ वननेस" का कार्य अंतिम चरण पर है। नर्मदा किनारे देश का चतुर्थ ज्योतिर्लिंग ओम्कारेश्वर शंकराचार्य की दीक्षा स्थली है, जहां वे अपने गुरु गोविंद भगवत्पाद से मिले और यहीं 4 वर्ष रहकर उन्होंने विद्या का अध्ययन किया। 12 वर्ष की आयु में उन्होंने ओंकारेश्वर से ही अखंड भारत में वेदांत के लोकव्यापीकरण के लिए प्रस्थान किया। इसलिए, ओम्कारेश्वर के मान्धाता पर्वत पर 12 वर्ष के आचार्य शंकर की प्रतिमा की स्थापना की जा रही है। यह पूरी दुनिया में शंकराचार्य की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी, जिसका लोकार्पण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह 18 सितम्बर को करेंगे।
मध्यप्रदेश की करीब दो हजार करोड़ रुपयों की एक महत्वाकांक्षी धार्मिक एवं आध्यात्मिक योजना खण्डवा जिले के तीर्थस्थल ओम्कारेश्वर में आकार ले रही है। जिसमें ओंकार पर्वत पर 28 एकड़ में अद्वैत वेदांत पीठ और आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा स्थापित की जा रही है।
इस योजना के प्रथम चरण में आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा " स्टेच्यू ऑफ वननेस" बनकर तैयार हो चुकी है, जबकि शेष कार्यों का भूमिपूजन होना है। सनातन धर्म के पुनरुद्धारक, सांस्कृतिक एकता के देवदूत व अद्वैत वेदांत दर्शन के प्रखर प्रवक्ता 'आचार्य शंकर' के जीवन और दर्शन के लोकव्यापीकरण के उद्देश्य के साथ मध्य प्रदेश शासन द्वारा ओंकारेश्वर को अद्वैत वेदांत के वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।
आदि शंकराचार्य मात्र 8 वर्ष की उम्र में अपने गुरु को खोजते हुए केरल से ओमकारेश्वर आए थे और यहां गुरु गोविंद भगवत्पाद से दीक्षा ली। यहीं से उन्होंने फिर पूरे भारतवर्ष का भ्रमण कर सनातन की चेतना जगाई। इसलिए, ओम्कारेश्वर के मान्धाता पर्वत पर यह 108 फीट ऊंची बहुधातु की प्रतिमा है, जिसमें आदि शंकराचार्य जी बाल स्वरूप में हैं।
कलेक्टर अनूप कुमार सिंह ने बताया कि ओंकारेश्वर में मान्धाता पर्वत पर एकात्मधाम प्रोजेक्ट के अंतर्गत आदि गुरु शंकराचार्य जी की 108 फीट ऊंची प्रतिमा की स्थापना का काम चल रहा है। इसमें 54 फीट ऊंचा पेडस्टल था और 108 फीट ऊंची प्रतिमा है। मूर्ति निर्माण का काम अंतिम स्तर पर है। शुक्रवार शाम तक मूर्ति पूरी तरह तैयार हो जाएगी। इस मूर्ति के अनावरण का कार्य 18 सितम्बर को आयोजित किया जाएगा। इसमें देश के तमाम कोने से साधू संत आएंगे।
15 सितंबर से तीन दिवसीय अनुष्ठान चल रहा है जो 18 को पूर्ण होगा। मुख्यमंत्री अनावरण करेंगे और उनके साथ देश के साधु-संत रहेंगे। 18 सितंबर को दो प्रोग्राम होंगे, जो फर्स्ट हॉफ में प्रोग्राम होगा वह मान्धाता पर्वत पर होगा और सेकंड हॉफ में प्रोग्राम सिद्धवरकूट में होगा। मान्धाता पर्वत पर अभी भी एक पूजा चल रही है और 15 सितंबर से भी एक पूजा आरम्भ हुई है जो निरंतर तीन दिन जारी रहेगी। सिद्धवरकूट में भी दो तीन हजार साधु संत रहेंगे और वहां भी धार्मिक अनुष्ठान होंगे।
अद्वैत्य लोक का भूमिपूजन होगा तो इसमें म्यूज़ियम, मेडिटेशन सेंटर, नौका विहार और पांच सौ लोगों की क्षमता वाला थिएटर रहेगा। इसके अलावा इसमें अन्नपूर्णा और शिल्पग्राम भी बनेंगे।
बाल शंकर का चित्र मुंबई के विख्यात चित्रकार वासुदेव कामत द्वारा वर्ष 2018 में बनाया गया था। जिसके आधार पर यह मूर्ति सोलापुर महाराष्ट्र के प्रसिद्ध मूर्तिकार भगवान रामपुर द्वारा उकेरी गई। मूर्ति निर्माण हेतु वर्ष 2017-18 में संपूर्ण मध्य प्रदेश में एकात्म यात्रा निकाली गई थी, जिसके माध्यम से 27,000 ग्राम पंचायतों से मूर्ति निर्माण हेतु धातु संग्रहण व जनजागरण का अभियान चलाया गया था।
मुख्यमंत्री इसी दिन इस परियोजना के दूसरे चरण की आधारशिला भी रखेंगे। जिसमें, 'अद्वैत लोक' नाम का एक संग्रहालय तथा आचार्य शंकर अंतर्राष्ट्रीय अद्वैत वेदान्त संस्थान की स्थापना की जाएगी।
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