चौसिंगा मौत पर गलत रिपोर्ट, डॉक्टर की भूमिका संदिग्ध!

जंगल सफारी में जानवरों की मौत की सीएम से जांच की मांग रायपुर। जंगल सफारी में 17 चौसिंगों की मौत की जांच रिपोर्ट में नया मोड़ आ गया है। जांच समिति ने निष्कर्ष निकाला कि डॉक्टर राकेश वर्मा का पक्ष संदेह के दायरे में है और यह माने जाने का कारण स्पष्ट करता है कि …

Update: 2024-01-24 00:43 GMT

जंगल सफारी में जानवरों की मौत की सीएम से जांच की मांग

रायपुर। जंगल सफारी में 17 चौसिंगों की मौत की जांच रिपोर्ट में नया मोड़ आ गया है। जांच समिति ने निष्कर्ष निकाला कि डॉक्टर राकेश वर्मा का पक्ष संदेह के दायरे में है और यह माने जाने का कारण स्पष्ट करता है कि अभिलेख बैक डेट में तैयार किए गए हैं तथा उसे हड़बड़ी में बिना सोचे समझे गैर जिम्मेदारी से हस्ताक्षर किए गए हैं। मामले की वन्यजीव प्रेमी ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय तथा वनमंत्री केदार कश्यप से उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। घटना की जानकारी मिलने पर वन्यजीव प्रेमी भी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कराने सक्रिय हो गए हैं। जांच प्रभावित न हो, इसके लिए पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ को अवकाश में भेजने के साथ डॉक्टर के निलंबन की मांग की है। वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने आरोप लगाया है कि, 25 नवंबर को पांच चौसिंगा की मौत के बाद सफारी के सीनियर डॉक्टर तथा सहायक संचालक ने सफारी के डायरेक्टर को घटना की जानकारी नहीं दी। साथ ही वन्यजीव प्रेमी ने डॉक्टर तथा सह संचालक पर मामले को रफा दफा करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। वन्यजीव की मौत के बाद सैर पर जाने का आरोप वन्यजीव प्रेमी के मुताबिक, 25 नवंबर को चौसिंगा की मौत होने के बाद 26 नवंबर को संबंधित डॉक्टर गोवा की सैर करने के लिए चले गए। डॉक्टर के अवकाश की अर्जी सफारी के डायरेक्टर ने अस्वीकृत कर दी थी। बावजूद इसके डॉक्टर पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ से आवेदन स्वीकृत कराकर अवकाश पर चले गए। डॉक्टर ने इसकी जानकारी सफारी के डायरेक्टर तक को नहीं दी, जबकि अवकाश स्वीकृत होने के बाद डॉक्टर को डायरेक्टर को जानकारी देनी थी। पांच काले हिरण, तीन नीलगाय की मौत वन्यजीव प्रेमी के मुताबिक, सफारी में चौसिंगा की मौत किस्तों में हुई है। इसी दौरान पांच काले हिरणों की मौत के साथ तीन नील गाय की मौत होने की बात वन्यजीव प्रेमी कह रहे हैं। वन्यजीव प्रेमी ने आरोप लगाया है कि पांच चौसिंगा की मौत के बाद केवल दो का पोस्टमार्टम किया गया है। शेष तीन को जला दिया गया है। गौरतलब है कि चौसिंगा शेड्यूल-1 प्रजाति का वन्यजीव है, इसलिए जितने भी चौसिंगा की मौत हुई है, उन सभी का पोस्टमार्टम कर सफारी के डायरेक्टर को 24 घंटे के भीतर पीएम रिपोर्ट की जानकारी देना अनिवार्य है। डॉक्टर पर आरोप लग रहे हैं कि घटना के बाद से लेकर अब तक डायरेक्टर को पीएम रिपोर्ट नहीं सौंपी गई है।

डाक्टर समझते है राजनीतिक मर्ज

बताया जाता है कि डाक्टर राकेश वर्मा का दोनों ही राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं से पुराना याराना है। कांग्रेस सरकार में तो अपने मूल विभाग से हटकर सेटिंग के चलते दूसरे अन्य विभागों में मलाईदार पदों पर रह चुके है। बड़े पदों पर पहुंचने में डाक्टर राकेश वर्मा को महारत हासिल है। सरकार बदलने के बाद भाजपा शासन में भी अपने रसूख का उपयोग कर सेटिंग में लगे हुए है। ये एनिमल डाक्टर होने के साथ राजनीतिक लोगों से जुड़े लोगों की मर्ज भी अच्छी तरह समझते है। भाजपा सरकार में उनके कारनामे उजागर होने के बाद वो संबंधित विभाग के मंत्रियों के ओएसडी तक पहुंच चुके है। चौसिंग की मौत के बाद सुर्खियों में आए डाक्टर राकेश वर्मा अपने कारनामे पर पर्दा डालने के लिए हाथ पैर मार रहे है।

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