गौठान में अजीविका मूलक गतिविधियों से जुड़कर महिलाएं स्वालंबन की दिशा में बढ़ रही आगे

Update: 2023-05-31 02:50 GMT
कवर्धा: ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए संचालित सुराजी गांव योजना का लाभ मिलने लगा है। इस योजना के तहत संचालित नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी से गांव की तस्वीर बदलने लगी है। गांव की महिलाओं और युवाओ को रोजगार के साथ अतिरिक्त आय का जरिया मिला है। योजना के तहत संचालित गौठान मल्टीएक्टीविटी केन्द्र के रूप में विकसित किए गए है, जहां महिलाओं के सपने साकार हो रहे हैं।
जिला मुख्यालय कबीरधाम से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम बिरकोना का आर्दश गौठान विभिन्न गतिविधियों का केन्द्र बन गया है, जहां स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने गौठान में कड़ी मेहनत कर न केवल वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन किया है बल्कि विभिन्न आजीविका मूलक गतिविधियों से जुड़ी हैं। जिससे यह गौठान ग्रामीणों और समूह की महिलाओं के लिए अतिरिक्त आय का जरिया बन चुका है। गौठान में कार्यरत स्व सहायता समूह की महिलाएं गोबर खरीदी, वर्मी कम्पोस्ट निर्माण, सब्जी उत्पादन, मूर्गी पालन, गौमूत्र खरीदी, गौमूत्र से ब्रम्हास्त्र जैसे विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से स्वालंबन की दिशा में आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप गौठान मल्टीएक्टीविटी केन्द्र के रूप में स्थापित हुई है। जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है।
गौठान में कार्य कर रही शिव शक्ति स्व सहायता समूह की अध्यक्ष ने बताया कि उनके समूह द्वारा वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण किया जा रहा है। अब तक 575 क्विंटल कुल 2 लाख 25 हजार 400 रूपए का वर्मी कम्पोस्ट का विक्रय किया गया है। उन्होंने बताया कि समूह की दीदीयांं को लाभ वितरण किया गया है। जिसका उपयोग अपने घर खर्चा चलाने मे कर रहीं हैं। मुर्गी पालन करने वाली जय मातारानी समूह के सदस्यों ने बताया कि गौठान में कड़कनाथ मुर्गी का पालन कर रही है। अब तक 20 हजार 550 रूपए का कड़कनाथ मुर्गी बेंच चुके है। बाड़ी में कार्यरत जागृति स्व सहायता समूह की महिलओं ने बताया कि बाड़ी में टमाटर, बैंगन, मिर्च, पाल, भिंडी, प्याज, चेंच भाई, अरबी, जीमिकांदा, धनिया, हल्दी, लौकी, बरबट्टी और खेड़हा का उत्पादन कर रही है। इससे 30 हजार रूपए की आमदनी प्राप्त हुई है। संगम स्व सहायता समूह की सचिव श्रीमती त्रिवेणी देवी अनंत ने बताया कि अब तक 2 हजार 500 लीटर की गौमूत्र की खरीदी की जा चुकी है। इससे 1250 लीटर ब्रम्हास्त्र का निर्माण कर विक्रय कर दिया गया है। ब्रम्हास्त्र के विक्रय से 62 हजार 500 रूपए की आय प्राप्त हुई है।
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