रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि बस्तर की धरती शांति, भाईचारे और प्रेम की धरती है। हमने बस्तर के लोगों का विश्वास जितने, बस्तर के विकास और लोगों को सुरक्षा प्रदान करने का काम किया। हमने लोगांें को अधिकार संपन्न बनाने का काम किया। मुख्यमंत्री श्री बघेल आज शाम यहां अपने निवास कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ’इमर्जिंग बस्तर’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि पहले बस्तर नक्सल गतिविधियों के प्रभाव में था, लोग दहशत में थे। ऐसी स्थिति को हमने संभाला, हमने बस्तर के लोगों का विश्वास जीता।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि हमारी सरकार बनते ही सबसे पहले किसानों की ऋण माफी, 2500 रुपये में धान की खरीदी और लोहंडीगुड़ा में जमीन वापसी का काम किया। बस्तर के विकास, लोगों को सुरक्षा देने का काम किया। इसके अलावा वन अधिकार पट्टा दिलाने, जेल में बंद निर्दाेष लोगों को छुड़ाने, बन्द पड़े स्कूलों को फिर से शुरु किया। विकासखण्ड से लेकर जिला स्तर तक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया। इसके साथ ही हाट बाजार क्लीनिक योजना, स्लम स्वास्थ्य योजना, दाई-दीदी क्लीनिक योजना लागू की। बस्तर को मलेरिया मुक्त करने अभियान चलाया, कुपोषण दूर करने का काम किया।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि बस्तर की संस्कृति यहां की पहचान है। हमारी सरकार ने इस संस्कृति को सहेजने के लिए देवगुड़ी निर्माण, घोटुल निर्माण का कार्य किया, आदिवासी परब सम्मान निधि योजना, छत्तीसगढ़ी पर्व सम्मान निधि योजना लागू की, गायता-पुजारियों को भी मानदेय देने का काम किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में प्रशासनिक विकास के लिए जिला निर्माण, अनुभाग और तहसील निर्माण का कार्य किया गया। पहले डीएमएफ की राशि से सिर्फ बड़ी-बड़ी बिल्डिंगे बना करती थी, हमने इस राशि से सड़क, पुल-पुलिया निर्माण जैसे आधारभूत इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में किया। हमने लोगों को रोजगार देने का काम किया। उन्होंने कहा कि मजदूर, किसान, गरीब, आदिवासी, व्यापारी, पत्रकार हो या हमारे अधिकारी-कर्मचारी सभी वर्गो को लगता है कि यह हमारी सरकार है। सरकार ने अपनी योजना से सभी वर्गो को लाभान्वित किया। हमारी सरकार सभी वर्गो का प्रतिनिधित्व करने वाली सरकार है।
श्री बघेल ने कहा कि बस्तर क्षेत्र के दरभा घाटी में कॉफी का उत्पादन किया जा रहा है। दंतेवाड़ा में जैविक खेती की जा रही है। लोहण्डीगुड़ा के पास इमली का प्रोसेसिंग प्लांट लगाया गया है। यहां पर कोदो, कुटकी और रागी की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। 67 प्रकार की वनोपजों की खरीदी की जा रही है। बस्तर में काजू, आम, इमली, महुआ, चिरौंजी, हर्रा-बहेरा आदि की खरीदी एवं इन उत्पादों का वैल्यूएडीशन करने का काम किया जा रहा है। इन उत्पादों की विदेशों में भी अच्छी मांग है। लोगों को रोजगार के अधिक से अधिक साधन उपलब्ध कराने के प्रयास किए गए, गौठानों और रीपा में विभिन्न उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। पहले की सरकारे तो स्व-सहायता समूहों का गठन कर वस्तुओं का उत्पादन कराती थी, हमने इन उत्पादों की विक्रय की ठोस व्यवस्था की है। जिला स्तर और संभागीय मुख्यालयों में सी-मार्ट प्रारंभ किए हैं। अमेजन और फ्लिपकार्ड जैसे आनलाईन प्लेटफार्म पर बिक्री की जा रही है। बस्तर के महुआ की डिमांड इंग्लैण्ड में भी है। हमारी यह कोशिश है कि उत्पादन करने वाले और उत्पादों की विक्रय करने वाले अलग-अलग लोग हों और उनके उत्पादों की विक्रय की चिंता न रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर बहुत समृद्ध और सुन्दर है। हमारा प्रयास है कि यहां पर्यटन को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दिया जाए। बस्तर अंचल में अच्छी रोड कनेक्टिविटी विकसित की गई है। साथ ही एयर कनेक्टिविटी में और विस्तार करने के प्रयास किए जा रहे हैं। पर्यटन बढ़ने से यहां के लोगों को रोजगार और आय के अच्छे साधन मिलेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने बस्तर के अन्दरूनी इलाकों नारायणपुर, सुकमा, बीजापुर में कैम्प लगाकर लोगों के जॉबकार्ड, आधार कार्ड और राशनकार्ड बनाने का काम किया। आंगनबाड़ी केन्द्र प्रारंभ किए, शिक्षा और स्वास्थ्य की अच्छी सुविधाएं प्रदान करने का हर संभव प्रयास किया। आज बस्तर के लोग राज्य सरकार के काम से खुश हैं। पहले बस्तर के दूरस्थ अंचलों की पीडीएस दुकानों में राशन पहुंचाने की हेडलाईन अखबारों में बना करती थी। आज स्थिति में बड़ा परिवर्तन आया है। अब इन इलाकों में चार महीने का राशन पहले से ही पहुंच जा रहा है। अब नक्सलवाद नहीं विकास बस्तर की पहचान बन रहा है। बस्तर में रोजगार अवसर बढ़ रहे हैं। भेंट-मुलाकात के दौरान हमने हर समाज को जमीन उपलब्ध कराने के साथ ही भवन निर्माण के लिए राशि दी है।