राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की गई

Update: 2022-03-31 03:20 GMT

रायपुर: राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य सुश्री शशिकांता राठौर, डॉ अनीता रावटे एवं श्रीमती अर्चना उपाध्याय की उपस्थिति में आज शास्त्री चौक स्थित, राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की गई।

आज सुनवाई में आवेदिका ने आयोग के आदेश का पालन करते हुए 50000 रुपये अनावेदक को आयोग के समक्ष सुपुर्द किया। अनावेदक सीपीटीडब्ल्यूएस रायपुर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स विवेकानंद सोसायटी में आवेदिका का जो जमा राशि है उसे अनावेदक तत्काल आवेदिका के एकाउंट में एनईएफटीई से या आरटीजीएसटी से जमा करायेगे। इसकी सूचना अनावेदक आयोग को देंगे दस्तावेज भेजने पर प्रकरण को निराकृत किया जा सकेगा।
एक अन्य प्रकरण में थाना प्रभारी के माध्यम से अनावेदक की उपस्थिति कराने हेतु आयोग ने कई बार पत्र लिखा है पर आज दिनांक की सुनवाई में भी थाना प्रभारी अनावेदक को उपस्थित करने में असफल रहे हैं। इस हेतु अब आयोग रायपुर डीजीपी को प एसपी रायपुर की जिम्मेदारी तय सुनिश्चित कराने पत्र प्रेषित किया जाएगा जिससे अनावेदक आवश्यक रूप सुनवाई में उपस्थित होवे। साथ ही अपराधी को पकड़ने के लिए तमका दिया जाता है पर तिल्दा क्षेत्र के पुलिस पकड़ने में असक्षम है। डीजीपी के माध्यम से एसपी के अधीनस्थ किसी जिम्मेदार पुलिस अधिकारी के माध्यम से अनावेदक की उपस्थिति सुनिश्चित कराया जा सके जिससे कि इस प्रकरण का निराकरण किया जा सके।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने स्वयं को नौकरी से निकाले जाने को लेकर आवेदन प्रस्तुत किया था। जिसपर अनावेदक ने विस्तृत दस्तावेज प्रस्तुत किया है और बताया कि आवेदिका डिलवरी पिक दिनांक को हुई है उस दिनांक को तोकापाल में रजिस्टर में हस्ताक्षर किया है जिसपर विभागीय उच्च अधिकारी ने कार्यमुक्त कर दिया है। आवेदिका चाहे तो जॉइन डायरेक्टर के समक्ष अपील प्रस्तुत कर सकती है। यह प्रकरण आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर हो जाने से नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में आयोग की समझाइश पर आवेदिका के रिहायशी भवन में किसी प्रकार से हस्तक्षेप अनावेदक नही करेगा। अगर अनावेदक द्वारा किसी भी प्रकार से हस्तक्षेप करता है तो आवेदिका को पूर्व अधिकार है कि वह अनावेदक के खिलाफ पुलिस थाना में एफआईआर दर्ज करा सकती है इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका की बहू अनावेदिका है दोनो अपने पुत्र और पति पर एकाधिकार चाहती है यह आयोग द्वारा तय करना सम्भव नहीं है दोनो पक्षो को समझाइश दिए जाने पर अनावेदिका बहु का कहना है कि वह अपने पति के सहमति से तलाक लेना चाहती है दोनो को एलग रहते 3 माह हुआ है। एक वर्ष बाद आपसी राजीनामा से तलाक के न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में दुर्ग सुनवाई के समय आयोग की ओर से आयोग कार्यालय में दोनो पक्ष को शपथ पत्र पर बयान दर्ज कर लाने कहा गया था आज आयोग के सुनवाई में शपथ पत्र पर बयान दर्ज किया उक्त दस्तावेजों और प्रकरणों को सुनने के बाद स्पष्ट हुआ कि आवेदिका चुकी आवेदिका अधिवक्ता है उनके द्वारा अपने पक्षकार के पैरवी करने के वास्तविक रूप में अनावेदकगणो से चर्चा हुई थी जिसे लेकर आवेदिका ने यह शिकायत किया कि अनावेदक ने उससे दुर्व्यवहार किया है। आवेदिका द्वारा ऑडियो क्लिप को सभी सदस्यों ने सुना ऑडियो में ऐसे तथ्य नही आया है जो आवेदिका के साथ दुर्व्यवहार के तथ्य में आते हैं अनावेदक ने आवेदिका के प्रस्तुत अपील को स्वीकार किया है जिसके खिलाफ आवेदिका उच्च न्यायालय या उच्च अपीलीय न्यायालय में पुनः अपील कर सकते हैं। अनावेदक गण ने बताया कि धारा 107 के तहत प्रकरण सुनने की पात्रता थी किंतु अनावेदक ने धारा 108 भूल सुधार का आवेदन प्रस्तुत किया था। इसको अब आवेदिका कहती है कि मैंने किसी अन्य के कहने पर किया था इससे यह स्पष्ट होता है कि आवेदिका अपने पक्षकार का प्रकरण सही ढंग से प्रस्तुत करने के लिए कानून की जानकर नही थी इस तथ्य रूप का मूल आवेदिका से मांगने पर दस्तावेज नही दे पाई है ऐसी दशा स्तिथि में आवेदिका का प्रकरण अभद्रता और अशोभनीय व्यवहार प्रमाणित नही होने से इस प्रकरण की निरस्त कर नस्तीबद्ध किया गया।
जांजगीर चापा के 2 प्रकरणों को नस्तीबद्ध किया गया है। एक प्रकरण में आवेदिका ने धान खरीदी केंद्र के प्रांगण में अवैध कब्जा कर मकान बना लिया है जिसकी नोटिस दिए जाने पर बचने के लिए आवेदिका ने आयोग के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था इस प्रकरण पर कब्जा वैध है या अवैध इस पर प्रशासनिक जांच जारी है यह प्रकरण आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर हो जाने से नस्तीबद्ध किया गया।
इसी तरह एक प्रकरण में अनावेदकगणो के विरुद्ध जांजगीर जिले के हसौद थाने में एफआईआर दर्ज हो चुका है और जमानत पर रह रहे है यह प्रकरण न्यायालय में प्रक्रियाधीन हो जाने से इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक के खिलाफ आवेदिका ने मानसिक प्रताड़ना की शिकायत आयुग में दर्ज करवाई है। आयोग की सुनवाई में वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि आवेदिका के पति के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच का मामला न्यायालय में विचाराधीन है जिसमे न्यायालय से सजा हो चुकी है इस कारण उनके निर्वाह भत्ता के निराकरण में नियमानुसार कार्यवाही की प्रक्रिया जारी है। चूंकि आवेदिका एक गृहणी हैं और अपने पति का ईलाज कराने में आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है उनके जीवन निर्वाह भत्ता या विभाग के जमा राशि की आवश्यकता है अनावेदकगण को आयोग की ओर से समझाइश दिया गया कि वे आवेदिका के प्रकरण की शीघ्र जांच कर रिपोर्ट की समस्त दस्तावेज आगामी सुनवाई में आवश्यक रूप से प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए।
एक अन्य प्रकरण में अनावेदक ने पिछली सुनवाई में स्वीकार किया था कि जमीन बिक्री होने पर वह उसका हिस्सा दे देगा। आज की सुनवाई में अनावेदक कहता है कि 12 लाख रुपये की जमीन बिक्री किया उसका पैसा मिला नही है मामला न्यायालय में लंबित है, आयोग के समक्ष समस्त दस्तावेज प्रस्तुत किया है। आवेदिका ने बताया कि उनके पैतृक संपत्ति से कोई राशि नही मिली है उस पैतृक संपत्ति के 8 दावेदार है। 12 लाख रुपये में 1/8 हिस्सा 1लाख 50 हजार रुपये पाने की हकदार आवेदिका है चूंकि आवेदिका उस प्रकरण में मध्यस्थ बनकर अपना हक लेने के लिए आवेदन प्रस्तुत कर सकती है। अनावेदक न्यायालय में लंबित प्रकरण की जानकारी आवेदिका और अन्य अनावेदक को देंगे इसके बाद दोनों पक्ष अपना दावा अदालत में पेश कर सकेंगे। जिससे इस प्रकरण का निराकरण किया जा सकेगा।
एक अन्य प्रकरण में अनावेदक पीडब्ल्यूडी में सब इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं जो आयोग की कई सुनवाई में अनुपस्थित रहा है। वजह पुचके जाने पर अनावेदक में आयोग से माफी मांगी साथ ही कहा कि आवेदिका पत्नी के बैंक खाते में 39 हजार रुपये प्रतिमाह देते हैं, मकान में पति पत्नी के संयुक्त नाम है। आवेदिका जब चाहे मकान पर रह सकती है और आवेदिका ने बताया कि अनावेदिका दूसरी औरत के कारण उसे घर से निकाल दिया गया है। जिसके कारण आवेदिका अब उस मकान में नही रहना चाहती और 2 बच्चे जो 16 और 12 वर्ष के है जो आवेदिका के साथ रह रहे है उनके स्कूली खर्च पढ़ाई लिखाई की जिम्मेदारी अनावेदक की है। शासकीय सेवा पुस्तिका में आवेदिका और बच्चों का नाम दर्ज है जिसकी दस्तावेज अगली सुनवाई में अनावेदक को लाने कहा गया है। मकान का वर्तमान मूल्य और सम्पत्ति का कागजात जमा करे आवेदिका के कारण अनुपस्थित अनावेदिका का नाम, पद और पदस्थापना का पता, मोबाइल नंबर सहित संशोधित आवेदन प्रस्तुत करने पर आगामी सुनवाई में थाना प्रभारी के माध्यम से आवश्यक रूप से उपस्थित कराया जा सके। जिससे इस प्रकरण का निराकरण किया जा सके।
आज जनसुनवाई में 39 प्रकरण में 31 पक्षकार उपस्थित हुए, 10 प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया शेष अन्य प्रकरण को आगामी सुनवाई में रखा गया।

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