कोरबा: शहर से लगभग 70 किलोमीटर दूर वनांचल गांव है चिर्रा। आदिवासी बाहुल्य इस गांव की महिलाएं आसपास के जंगलों से वनोपज संग्रहित कर कुछ रूपए जोड़ तो लेती थी, लेकिन बचत से उनका नाता नहीं जुड़ पाया था। वे चाहती तो थी कि कुछ ऐसा काम करें कि उन्हें कुछ ज्यादा पैसे मिले और बचत कर सकें। इन्हीं में से एक इस गांव की ललिता भी थी, जो बचपन से दिव्यांग है, जंगल जाना और वनोपज संग्रहण कर पाना उसके लिए संभव नहीं था, ऐसे में ललिता की इच्छा थी कि वह कुछ ऐसा काम करें कि उन्हें जंगल न जाना पड़े। दिव्यांग ललिता ने पहले तो सिलाई के कामों को अपनाया, फिर चंद्रमुखी स्व-सहायता महिला समूह बनाकर ग्राम सुराजी योजना अंतर्गत गौठान से भी जुड़ गई। गौठान में केंचुआ उत्पादन के साथ वर्मी खाद बनाकर समूह की महिलाओं ने लगभग 16 लाख 70 हजार रूपए की आमदनी अर्जित की। इस राशि को समूह के सदस्यों ने आपस में बांटकर अनके जरूरतें पूरी की। समूह की सदस्य साधमति ने सोना खरीदी तो, ललिता ने खेतों में फसल बुआई करवाकर अपनी आमदनी में और इजाफा किया। कुछ सदस्यों ने अपनी सुरक्षा और भविष्य में राशि की वृद्धि के लिए बीमा भी कराया, वहीं कुछ सदस्य ऐसे भी है जिन्होंने घरेलू आवश्यकता को दूर करने में अपनी राशि खर्च की।
छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना ग्रामीण महिलाओं के जीवन में लगातार सकारात्मक बदलाव ला रही है। जनपद पंचायत कोरबा अंतर्गत ग्राम पंचायत चिर्रा की चंद्रमुखी स्व सहायता समूह की महिलाओं के द्वारा 31 क्विंटल केंचुआ उत्पादन किया गया है। महिलाओं ने उत्पादित कंेचुआ को विभिन्न गोठानो में बेचकर करीब दस लाख रुपये कमाये हैं। जिससे महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत होने से खुश हैं। चंद्रमुखी समूह की अध्यक्ष ललिता देवी राठिया ने बताया कि उनके समूह में 10 महिला सदस्य हैं जो कि सभी गोठान में वर्मी खाद बनाने के साथ ही केंचुआ उत्पादन का कार्य करती हैं। समूह के द्वारा वर्ष 2021 में करीब 15 क्विंटल 80 किलो केंचुआ उत्पादन किया गया था, इससे समूह को 3 लाख 95 हजार रुपये प्राप्त हुए हैं। अप्रैल से अक्टूबर 2022 तक 13 क्विंटल 60 किलो केंचुआ उत्पादन किया गया, जिसे बेचकर 3 लाख 40 हजार रुपये अर्जित किए। नवंबर 2022 में 80 किलोग्राम शुद्ध कंेचुआ उत्पादन हुआ, जिसे दो हजार रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचकर समूह को 1 लाख 60 हजार प्राप्त हुए हैं। इस प्रकार गोधन न्याय योजना के प्रारंभ से लेकर आज तक चंद्रमुखी समूह द्वारा 31 क्विंटल केंचुआ उत्पादन किया गया है। जिसे बेचकर 10 लाख रुपए कमाए हैं। जिसमें से समूह के 10 महिला सदस्यों ने 50-50 हजार रुपये आपस बांटे हैं। शेष करीब 5 लाख रुपये समूह के पास जमा है। इसी तरह चंद्रमुखी समूह ने 670 क्विंटल वर्मी खाद बेचकर लगभग 6 लाख 70 हजार रूपए की आमदनी अर्जित किया है। अभी भी इनके पास 155 क्विंटल खाद बचे हुए है, जिसे बेचकर अतिरिक्त राशि प्राप्त होगी। समूह के महिला सदस्यों का कहना है कि नरवा, गरवा घुरवा, बारी तथा गोधन न्याय जैसी योजनाएं प्रारंभ कर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने लाखों लोगों के जीवन में बदलाव लाया है। यह छत्तीसगढ़ सरकार की बहुत ही लाभकारी योजना है जिससे हम ग्रामीण महिलाओं को गांव में ही आजीविका के साधन प्राप्त हो रहे हैं और हम स्वावलंबी बन रहे हैं। समूह में सदस्य आनन्दमति राठिया, प्रमीला, मानमति, साधमति, ईराबाई, महेत्तरीन, अंजू साहू, साल कुंवर सहित अन्य महिलाएं हैं। उनका कहना है कि समूह से जुड़ने के बाद उनकी आमदनी बढ़ी है और जरूरी कार्यों के लिए राशि भी प्राप्त होने लगी है। इससे घर में खुशहाली का वातावरण है। कलेक्टर श्री संजीव कुमार झा और सीईओ जिला पंचायत श्री विश्वदीप द्वारा जिले के महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर के क्षेत्र में आगे बढ़ाने की दिशा में प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने चिर्रा में महिलाओं द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए अन्य महिला समूहों को भी प्रेरणा लेने की अपील की।