आसानी से पा सकते हैं एफडी से डबल मुनाफा
एनसीडी फिक्स्ड इनकम का जरिया है. इन्हें कंपनियां पब्लिक इश्यू के जरिए लंबी अवधि के फंड जुटाने के लिए इस्तेमाल करती हैं. यह इश्यू 4 जनवरी से खुल गया है और 27 जनवरी को बंद होगा.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अगर आप फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) से ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो आपके पास अच्छा मौका है. धनी लोन्स एंड सर्विसेज नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर्स (एनसीडी) लेकर आई है. एनसीडी फिक्स्ड इनकम का जरिया है. इन्हें कंपनियां पब्लिक इश्यू के जरिए लंबी अवधि के फंड जुटाने के लिए इस्तेमाल करती हैं. कन्वर्टिबल डिबेंचर्स की तुलना में इनमें ज्यादा ब्याज दर मिलती है. यह इश्यू 4 जनवरी से खुल गया है और 27 जनवरी को बंद होगा.
ब्याज का भुगतान मासिक, तिमाही, आधे साल या सालाना आधार पर किया जाता है. एनसीडी में कम्युलेटिव पेआउट का ऑप्शन भी मिलता है. इसके अलावा अन-सिक्योर्ड एनसीडी में ज्यादा ब्याज दर मिलती है.
1500 करोड़ रुपये का इश्यू
धनी लोन एनसीडी इश्यू का बेस साइज 1500 करोड़ रुपये का है, जबकि ओवर-सब्सक्रिप्शन की लिमिट भी 3000 करोड़ रुपये है. एनबीएफसी की सहायक कंपनी द्वारा ये एनसीडी प्रकृति में सुरक्षित हैं यानी मूलधन और उस पर ब्याज पर 1.25 गुना के कवर द्वारा समर्थित हैं.
मिनिमम कितना कर सकते हैं निवेश
इस नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर्स में न्यूनतम 10,000 रुपये निवेश किया जा सकता है. ये एनसीडी 36 महीनों तक की अवधि के लिए हैं. इनमें निवेशकों को 11 फीसदी तक सालाना रिटर्न मिलेगा. इन एनसीडी को आईवीआर ने एए/स्थिर आउटलुक रेटिंग दी है.
निवेश करते समय इन बातों का रखें ध्यान
एनसीडी कारोबार और फंडिंग से संबंधित जोखिमों के लिए संवेदनशील होती हैं. इसलिए अगर टर्नओवर पर नकारात्मक असर होता है, तो क्रेडिट रेटिंग को झटका लग सकता है. कंपनी को असर को कम करने के लिए बैंकों या एनबीएफसी से अतिरिक्त फंड लेने पड़ते हैं. इसलिए कंपनी एनसीडी को चुनते समय कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है.
जारी करने वाली कंपनी की क्रेडिट रेटिंग
ऐसी कंपनी को चुनें जिसकी क्रेडिट रेटिंग एए या ज्यादा हो. क्रेडिट रेटिंग में उसके बाहरी और आंतरिक ऑपरेशंस से कैश उठाने की कंपनी की क्षमता को कैलकुलेट करती है. यह कंपनी की वित्तीय स्थिति को बताने के लिए सबसे बेहतर मापदंड है.
लोन का स्तर
एनसीडी में निवेश करने से पहले कंपनी के एसेट क्वालिटी का कुछ बैकग्राउंड चेक करना चाहिए. अगर कंपनी अपने कुल निवेश का 50 फीसदी से ज्यादा अन-सिक्योर्ड लोन की ओर आवंटित करती है, तो निवेश बिल्कुल न करें.
कैपिटल एडिक्वेसी रेश्यो
सीएआर कंपनी के कैपिटल को मापती है और देखती है कि क्या कंपनी के पास संभवित नुकसान से निपटने के लिए पर्याप्त फंड मौजूद हैं या नहीं. यह सुनिश्चित करें कि कंपनी की योजना कम से कम 15 फीसदी सीएआर निवेश करने की है और उसने पहले भी इसे बरकरार रखा है.
नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स के लिए प्रावधान
कंपनी को कम से कम अपने 50 फीसदी एसेट्स को एनपीए के लिए रखनी चाहिए क्योंकि यह उनकी एसेट क्वालिटी का सकारात्मक संकेतक है. अगर बुरे डेट की वजह से क्वालिटी गिरती है, तो संभल जाएं.
इंट्रस्ट कवरेज रेश्यो
इंट्रस्ट कवरेज रेश्यो या आईसीआर यह पता करता है कि कंपनी की किसी समय पर अपने लोन पर ब्याज को आराम से सेटल करने की क्षमता कितनी है.