जब देश में 'गिफ्ट टैक्स' नाम से नए टैक्स की हुई घोषणा, सरकार बोली- यही है रास्ता
नई दिल्ली: साल था 1958. बजट पेश किए जाने से ठीक पहले देश के तत्कालीन वित्त मंत्री टी टी कृष्णमाचारी को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. भ्रष्टाचार के एक मामले में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत होने के बाद उन्हें फरवरी 1958 में अपना पद छोड़ना पड़ा था. ऐसे में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने वित्त वर्ष 1958-59 का आम बजट पेश किया था.
बजट भाषण की शुरुआत करते हुए नेहरू ने कहा था, 'परंपरा के हिसाब से आगामी वर्ष का बजट आज पेश होना है. अप्रत्याशित (Unexpected) और दुखी कर देने वाले घटनाक्रम की वजह से वित्त मंत्री आज यहां नहीं हैं जो सामान्य परिस्थितियों में यह बजट भाषण पढ़ रहे होते. एकदम आखिरी समय में यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मुझे मिली है.'
गिफ्ट टैक्स का प्रस्ताव
नेहरू ने 1958 में बजट पेश करते हुए 1957 में कृष्णामाचारी द्वारा लगाए गए टैक्स में कोई खास बदलाव नहीं किया. हालांकि, कर चोरी को रोकने के लिए 'गिफ्ट टैक्स' नाम से नए टैक्स की घोषणा की. टैक्स प्रस्ताव की घोषणा करते हुए नेहरू ने कहा था, 'अपने निकट रिश्तेदारों या सहयोगियों को गिफ्ट के जरिए प्रॉपर्टी ट्रांसफर करना ना सिर्फ एस्टेट ड्यूटी बल्कि इनकम टैक्स, वेल्थ टैक्स और एक्सपेंडिचर टैक्स से बचने का सबसे आम तरीका बन चुका है. इसे रोकने का सबसे प्रभावी तरीका गिफ्ट पर टैक्स लगाना है. इस तरह का टैक्स अमेरिका, कनाडा, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में पहले से लागू है.'
इन तथ्यों को जानना भी है जरूरी
गिफ्ट टैक्स के प्रावधानों में पत्नी को दिए गए 1 लाख रुपये तक के गिफ्ट पर टैक्स लागू नहीं था. हालांकि, अक्टूबर 1998 में गिफ्ट टैक्स को खत्म कर दिया गया था और सभी तरह के गिफ्ट पूरी तरह से टैक्स फ्री हो गए थे. हालांकि, 2004 में इस Tax को दोबारा लागू किया गया था.
1957 के बजट में कृष्णामाचारी ने लगाए थे दो टैक्स
कृष्णामाचारी ने 1957 में बजट पेश करते हुए वेल्थ टैक्स और एक्सपेंडिचर टैक्स लगाए थे. अपने इस फैसले को उचित ठहराते हुए उन्होंने कहा था, "यह महसूस किया गया है कि मौजूदा इनकम टैक्स से जुड़े कानूनों में परिभाषित इनकम वास्तव में टैक्स भुगतान की क्षमता का अंदाजा लगाने के लिए काफी नहीं है....।" उन्होंने वेल्थ टैक्स को इनकम टैक्स का पूरक बताया था.