बिजली को GST शामिल किए जाने पर उपभोक्ताओं पर क्या असर होगा...
देश में बिजली बनाने वाली सरकारी कंपनी NTPC (National Thermal Power Corporation) ने एक रिपोर्ट तैयार की है. इसमें बताया गया है कि बिजली को GST शामिल किए जाने पर उपभोक्ताओं पर क्या असर होगा...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अगर बिजली को GST में शामिल किया जाता है तो आपका बिल घटेगा या बढ़ेगा. ये सवाल इसलिए उठ रहा है. क्योंकि बिजली को भी अब GST के दायरे में लाने की चर्चा बढ़ गई है. देश में सबसे ज्यादा बिजली उत्पादन करने वाली कंपनी एनटीपीसी ने एक रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट में बताया गया है कि बिजली को GST शामिल किए जाने पर उपभोक्ताओं पर क्या असर होगा. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस कदम से सरकारों को फायदा होगा या नुकसान.
अभी तक बिजली की दरें राज्य सरकारें तय करती आ रही हैं. उपभोक्ताओं को महंगी बिजली बेचकर राज्य सरकारें ही फायदा उठाती आई हैं और साथ में सस्ती या फ्री बिजली का बोझ भी राज्य ही उठाते हैं, लेकिन केंद्र सरकार बिजली को GST के दायरे में लाना चाहती है.
इसके लिए केंद्र ने एनटीपीसी तथा केंद्रीय बिजली प्राधिकरण को एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा था.
जानिए NTPC रिपोर्ट की 5 बड़ी बातें
(1) एनटीपीसी और केंद्रीय बिजली प्राधिकरण रिपोर्ट में यह बताना था कि बिजली अगर GST के दायरे में आते है तो कमाई पर क्या असर होगा, साथ में यह भी बताना था कि उपभोक्ताओं को क्या लाभ मिलेगा.
(2) एनटीपीसी की वह रिपोर्ट अब सामने आ चुकी है और रिपोर्ट में बिजली पर 5% दर को आधार मानकर सभी सवालों का जवाब दिया गया है.
(3) अब सवाल उठता है कि क्यों बिजली को GST में शामिल किए जाने की मांग उठने लगी है. दरअसल देश में 70 फीसद बिजली का उत्पादन कोयले से होता है और कोयला खरीदने के लिए कंपनियों को 5 फीसदी GST चुकाना होता है, इसके अलावा कंपनियों को प्रति टन कोयले पर 400 रुपए जीएसटी कंपनसेशन और 14 फीसद रॉयल्टी भी चुकानी होती है.क्योंकि बिजली GST से बाहर है. ऐसे में बिजली बेचने पर कंपनियां लागत पर लगे टैक्स की भरपाई के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं ले पाती.
(4) बिजली कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ देने के लिए बिजली को GST में शामिल किए जाने की बात हो रही है, लेकिन बड़ा सवाल क्या बिजली को GST में शामिल करने के लिए राज्य मानेंगे GST के आने के बाद राज्यों के पास कमाई के सीमित ही जरिए बचे हैं, उनमें बिजली भी शामिल है.
(5) घरेलू उपभोक्ताओं को तो राज्य सरकारें कम रेट पर बिजली देने के लिए मजबूर रहती हैं, लेकिन अपने नुकसान की भरपाई वे कमर्शिल उपभोक्ताओं से कर लेती हैं. अभी तक अलग-अलग राज्यों में बिजली पर लगने वाले टैक्स की दर भी अलग अलग है और अधिकतम दर 20 फीसद तक है. ऐसे में लग नहीं रहा कि बिजली को GST में शामिल कर राज्य अपनी कमाई का एक और जरिए केंद्र की झोली में डालेंगे.