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Update: 2022-06-03 14:30 GMT

नई दिल्ली: महंगाई के बीच नौकरीपेशा लोगों के रिटायरमेंट फंड पर केंद्र सरकार ने कैंची चला दी है. साल 2021-22 के एम्प्लॉइज प्रॉविडेंट फंड (EPF) के लिए सरकार ने 8.1 प्रतिशत की ब्याज दर को मंजूरी दी है. यह 4 दशक में सबसे कम है. इससे पांच करोड़ ईपीएफओ उपभोक्ताओं पर असर पड़ेगा. इससे पहले मार्च में एम्प्लॉइज प्रॉविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (ईपीएफओ) ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए प्रॉविडेंट फंड डिपॉजिट पर ब्याज दर 8.5 प्रतिशत से 8.1 प्रतिशत करने का फैसला लिया था.


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शुक्रवार को जारी ईपीएफओ के कार्यालय के आदेश के मुताबिक, श्रम और रोजगार मंत्रालय ने ईपीएफ योजना के हर सदस्य को 2021-22 के लिए 8.1 प्रतिशत ब्याज दर क्रेडिट करने के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी की जानकारी दी है. श्रम मंत्रालय ने सहमति के लिए वित्त मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा था. सरकार की मंजूरी के बाद ईपीएफओ कर्मचारियों के अकाउंट में वित्तीय वर्ष के लिए तय ब्याज दर जमा करना शुरू कर देगा.
ब्याज की 8.1 प्रतिशत ईपीएफ दर 1977-78 के बाद से सबसे कम है. उस वक्त यह 8 प्रतिशत थी. सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (सीबीटी) ने 2020-21 के लिए ईपीएफ जमा पर 8.5 प्रतिशत की ब्याज दर मार्च 2021 में तय की थी. अक्टूबर 2021 में वित्त मंत्रालय ने इसकी मंजूरी दी थी. इसके बाद, ईपीएफओ ने फील्ड दफ्तरों को 2020-21 के लिए ग्राहकों के खाते में ब्याज आय को 8.5 प्रतिशत पर जमा करने के निर्देश जारी किए थे. एम्प्लॉइज का प्रतिनिधित्व करने वाले ईपीएफओ के ट्रस्टी, के ई रघुनाथन ने कहा कि जिस रफ्तार से श्रम और वित्त मंत्रालयों ने ब्याज दर को मंजूरी दी है, वह वास्तव में तारीफ के काबिल है. कर्मचारियों को पैसों की सख्त जरूरत थी और इससे उन्हें अपने बच्चों की शैक्षिक जरूरतों जैसे खर्चों को पूरा करने में मदद मिलेगी. मार्च 2020 में, EPFO ने प्रॉविडेंट फंड डिपॉजिट पर ब्याज दर को 2019-20 के सात साल के निचले स्तर 8.5 प्रतिशत पर कर दिया था, जो 2018-19 में 8.65 प्रतिशत था.
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