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Update: 2022-05-17 16:32 GMT

भारतीय मुद्रा 'रुपया (INR)' के लिए ये सबसे खराब दौर चल रहा है. रुपये की वैल्यू (Indian Rupee Value) पिछले कुछ दिनों में बड़ी तेजी से कम हुई है और ये एक के बाद एक नए निचले स्तर पर पहुंचता जा रहा है. मंगलवार को घरेलू शेयर बाजार में 2.50 फीसदी से ज्यादा की तेजी के बाद भी रुपये ने गिरने का नया रिकॉर्ड बना दिया. भारतीय करेंसी मंगलवार के कारोबार में डॉलर के मुकाबले अपने अब तक के सबसे निचले स्तर तक गिर गई. रुपये की हालत इन दिनों इस कदर खराब हो चुकी है कि रिजर्व बैंक (RBI) के प्रयास भी नाकाफी साबित हो रहे हैं. घरेलू करेंसी की वैल्यू बचाने के लिए रिजर्व बैंक अपने भंडार से डॉलर बाजार में झोंके जा रहा है, लेकिन इसके बाद भी वैल्यू गिर ही रही है.


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रिजर्व बैंक के प्रयास से भी नहीं संभला रुपया
इंटरबैंक फॉरेक्स एक्सचेंज (Interbank Forex Exchange) के कारोबार में रुपया शुरुआत में ही गिरकर डॉलर (USD) के मुकाबले 77.67 पर खुला. दिन के कारोबार में यह एक समय गिरकर प्रति डॉलर 77.80 तक के स्तर तक आ गया. यह रुपये का अभी तक का सबसे कमजोर स्तर है. इसके बाद रिजर्व बैंक ने स्पॉट (Spot Market) और फ्यूचर (Future Market) दोनों मार्केट में दखल दी, तो रुपये को कुछ राहत मिल पाई. हालांकि इसके बाद भी मंगलवार के कारोबार में यह 25 पैसे गिरकर 77.56 पर बंद हुआ. सोमवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 77.31 पर रहा था.
लगातार बन रहा गिरने का नया रिकॉर्ड
इससे पहले पिछले सप्ताह रुपये ने 2 बार ऑल टाइम लो (Rupee All Time Low) का नया रिकॉर्ड बनाया था. इंटरबैंक फॉरेक्स एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, पिछले सप्ताह सोमवार को कारोबार समाप्त होने के बाद रुपया 56 पैसे गिरकर 77.46 प्रति डॉलर के लेवल पर बंद हुआ था. यह भारतीय करेंसी का तब तक के इतिहास का सबसे निचला स्तर (INR All Time Low) था. उस दिन रुपये ने मार्च में 76.98 प्रति डॉलर तक आई गिरावट का रिकॉर्ड तोड़ा था. इसके बाद पिछले सप्ताह गुरुवार को रुपया 77.50 पर बंद हुआ था. अब भारतीय करेंसी नया लो लेवल छू चुकी है.
एफपीआई की बिकवाली कर रही कमजोर
विदेशी निवेशक (FPI) भारतीय बाजार से लगातार बिकवाली कर रहे हैं. रुपये की वैल्यू में गिरावट का मुख्य कारण यही है. एफपीआई लगातार इंडियन मार्केट में नेट सेलर बने हुए हैं. अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने के बाद इसकी रफ्तार और बढ़ गई है. शुरुआती आंकड़ों के अनुसार, मंगलवार को फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स ने इंडियन इक्विटी मार्केट से 2,192 करोड़ रुपये निकाले. इस महीने एफपीआई लगभग हर सेशन में बिकवाल रहे हैं.
साल भर में इतना गिर चुका है रुपया
इन्वेस्टमेंट को लेकर सलाह देने वाली कंपनी Millwood Kane International के Founder & CEO Nish Bhatt ने इस बारे में बताया कि रुपया लगातार नए लो लेवल पर जा रहा है. इस प्रोसेस में पिछले 1 साल में रुपये की वैल्यू करीब 6 फीसदी गिर चुकी है. डॉलर इंडेक्स के मजबूत होने और ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ पर मंडरा रहे संकट के बादल रुपये की वैल्यू गिरा रहे हैं. दुनिया भर में खासकर चीन में कमजोर आर्थिक आंकड़े डॉलर इंडेक्स को मजबूत कर रहे हैं, जो अभी करीब 2 दशक के हाई लेवल पर पहुंच चुका है. घरेलू मोर्चे पर बाजार में हो रही बिकवाली रुपये की कीमत को प्रभावित कर रही है. अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने के बाद इसमें और तेजी आएगी. महंगाई भी बढ़ी हुई है. इन कारणों को देखकर हमें लगता है कि फिलहाल रुपये के ऊपर दबाव बना रहने वाला है.
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