सब्जियां बन गईं विलेन

Update: 2023-07-22 04:11 GMT

सब्जियों और मसालों की महंगाई से आम लोगों के ​ही पसीने नहीं छूट रहे हैं, बल्कि यह गवर्नमेंट और रिजर्व बैंक जैसे नीति निर्माताओं के भी पसीने छुड़ा रही है. बीते दो महीने से काबू में दिख रही महंगाई की रेट जुलाई और अगस्त में जोरदार उछाल मार सकती है. जापानी ब्रोकरेज फर्म नोमुरा ने शुक्रवार को बोला कि जुलाई और अगस्त के महीनों में सब्जियों की कीमतों के आसमान छूने से खुदरा मुद्रास्फीति के एक बार फिर छह फीसदी के ऊपर पहुंच जाने की संभावना है. यदि ऐसा होता है तो यह रिजर्व बैंक के मुद्रास्फीति के संतोषजनक स्तर से अधिक होगा.

सब्जियां बनीं खलनायक

नोमुरा ने अपनी टिप्पणी में बोला कि सब्जियों के मूल्य चढ़ने से सजग हुई गवर्नमेंट खाद्य उत्पादों की आपूर्ति सुधारने के लिए कई कदम उठा सकती है. एक दिन पहले ही गवर्नमेंट ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगाई है. नोमुरा ने कहा, “जुलाई और अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति के छह फीसदी से अधिक रहने के आसार हैं. इसके पीछे सब्जियों के मूल्य में आई तेजी की अहम किरदार होगी. हालांकि हमें आशा है कि गवर्नमेंट आपूर्ति को सुधारने के लिए कदम उठाएगी.”

चुनावी वर्ष में गवर्नमेंट की टेंशन बनेगी महंगाई

ब्रोकरेज फर्म ने बोला कि इस वर्ष के आखिर में कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और अगले वर्ष अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए मुद्रास्फीति को काबू में रखना गवर्नमेंट के लिए एक सियासी अहमियत भी होगी. जून में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 4.81 फीसदी हो गई जबकि मई में यह 4.31 फीसदी रही थी. इसके लिए खाद्य उत्पादों की कीमतों में आई तेजी को उत्तरदायी बताया गया था.

रिजर्व बैंक पर होगी सबकी निगाहें

रिजर्व बैंक ने पिछले वर्ष खुदरा मुद्रास्फीति के उच्च स्तर पर पहुंच जाने के बाद नीतिगत रेपो रेट में वृद्धि कर मांग पर काबू पाने की रणनीति अपनाई. लगातार कई बार रेपो रेट में वृद्धि की गई और यह चार फीसदी से बढ़कर 6.50 फीसदी पर पहुंच गई. हालांकि पिछली दो द्विमासिक समीक्षा बैठकों में रेपो रेट को स्थिर रखा गया है.

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