अगले वित्त वर्ष से तंबाकू उत्पादों का इस्तेमाल महंगा हो सकता है

सार्वजनिक स्वास्थ्य समूहों अर्थशास्त्रियों और डॉक्टरों ने सरकार से वित्त वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट में सभी तंबाकू उत्पादों पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने का आग्रह किया है। वित्त मंत्रालय से की गई अपनी अपील में उन्होंने सिगरेट बीड़ी और धुंआ रहित तंबाकू पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने की मांग की है।

Update: 2021-12-13 04:50 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आने वाले वक्त में तंबाकू उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। सार्वजनिक स्वास्थ्य समूहों, अर्थशास्त्रियों और डॉक्टरों ने, सरकार से वित्त वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट में सभी तंबाकू उत्पादों पर उत्पाद शुल्क(एक्साइज ड्यूटी) बढ़ाने का आग्रह किया है। वित्त मंत्रालय से की गई अपनी अपील में उन्होंने सिगरेट, बीड़ी और धुंआ रहित तंबाकू पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने की मांग की है। सार्वजनिक स्वास्थ्य समूहों, अर्थशास्त्रियों और डॉक्टरों के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा राजस्व जुटाने की तत्काल आवश्यकता को पूरा करने के लिए सभी तंबाकू उत्पादों पर उत्पाद शुल्क बढ़ाना एक बहुत ही प्रभावी और नीतिगत उपाय साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि, यह राजस्व पैदा करने और तंबाकू के उपयोग और संबंधित बीमारियों के साथ-साथ कोविड-19 से संबंधित समस्याओं को कम करने के लिए एक बेहतर प्रस्ताव साबित हो सकता है।

स्वैच्छिक स्वास्थ्य संघ ऑफ इंडिया की मुख्य कार्यकारी भावना मुखोपाध्याय ने इस बारे में एक बयान देते हुए कहा कि, "तंबाकू से कर राजस्व महामारी के दौरान संसाधनों की बढ़ती जरूरत में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है, जिसमें टीकाकरण और स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को बढ़ाना शामिल है। सभी तंबाकू उत्पादों पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने से केंद्र सरकार के लिए पर्याप्त राजस्व प्राप्त होगा और यह तंबाकू उत्पादों को महंगा भी कर देगा। यह कमजोर आबादी के बीच तंबाकू के उपयोग को कम करने के लिए एक ठोस आधार प्रदान करेगा और लोगों के जीवन पर लंबे समय के लिए प्रभाव डालेगा।" भावना मुखोपाध्याय ने वित्त मंत्री से राजस्व बढ़ाने और स्वास्थ्य हानि को कम करने का अनुरोध किया।
वित्त मंत्रालय ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान यह जानकारी दी कि, वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान तंबाकू उत्पादों पर एकत्र किया गया केंद्रीय उत्पाद शुल्क और उपकर (एनसीसीडी) 1,234 करोड़ रुपये था, जोकि वित्त वर्ष 2019-20 में 1,610 करोड़ रुपये और 2020-21 में 4,962 करोड़ रुपये था। जीएसटी के लागू होने के बाद से तंबाकू उत्पादों पर लगने वाला कर काफी कम था, जिस कारण से बाजार में इस तरह के उत्पाद काफी कम कीमत में उपलब्ध हो जाया करते थे।


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