US Report : भारत के साथ व्यापार करने को लेकर अमेरिकी विदेशी विभाग ने जताई चिंता
विदेशी निवेशकों के लिए लचीला रवैया एवं बेहतर नीतियों के न अपनाए जाने पर अमेरिकी विदेश विभाग ने चिंता जताई है. उनके मुताबिक भारत विदेशी व्यापारियों के लिए बेहतर जगह नहीं है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में भारत ने भले ही बेहतर जगह बनाने में कामयाबी हासिल की हो, लेकिन अमेरिकी बिजनेसमैन अभी भी यहां व्यापार करना ज्यादा मुनासिब नहीं समझते हैं. ये बात अमेरिकी विदेश विभाग की नवीनतम रिपोर्ट में कही गई है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत व्यापार करने के लिए एक कठिन स्थान बना हुआ है. स्थायी और समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त आर्थिक सुधार की जरूरत है.
दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था का खिताब होने के बावजूद भारत के निजी क्षेत्र के निवेश में वृद्धि नहीं हुई है. जबकि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के पहले दो वर्षों के दौरान भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में काफी वृद्धि हुई है, वहीं पिछले एक साल में विकास दर धीमी रही है.
टैरिफ वृद्धि से बाधित हुई आपूर्ति श्रृंखला
मोदी सरकार ने चीन के साथ भारत के बड़े व्यापार घाटे और भुगतान संतुलन संबंधी चिंताओं के जवाब में, 2018 में टैरिफ वृद्धि के दो दौर की शुरुआत की. इस बारे में रिपोर्ट में कहा गया है, "वास्तविक मंशा जो भी हो, लेकिन इन टैरिफ वृद्धि ने घरेलू उद्योग और विदेशी निवेशकों दोनों की आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर दिया. भारत में नए निवेश और मौजूदा निवेश के विस्तार दोनों को रद्द कर दिया. इससे विदेशी निवेशकों को सोचने में मजबूर कर दिया."
वाणिज्यिक विवादों के निपटारे में देरी से नुकसान
विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में एक वाणिज्यिक विवाद को हल करने में औसतन लगभग चार साल लगते हैं, जो दुनिया में तीसरी सबसे लंबी दर है. भारतीय अदालतों में कर्मचारियों की कमी है और लंबित मामलों के एक विशाल बैकलॉग को हल करने के लिए आवश्यक तकनीक की कमी है. संयुक्त राष्ट्र द्वारा राष्ट्रव्यापी 30-40 मिलियन मामलों का अनुमान है. ऐसे में विदेशी निवेशकों का भारत में व्यापार करना काफी मुश्किल हो जाता है.