अमेरिकी कोर्ट ने मेटा पर लगाया दो अरब से ज्यादा का जुर्माना

Update: 2022-10-28 07:22 GMT

वर्ल्ड न्यूज़: अमेरिका में चुनावी विज्ञापनों से जुड़ी गड़बड़ियों के लिए वाशिंगटन राज्य की एक अदालत ने बुधवार को फेसबुक की मूल कंपनी मेटा पर लगभग 2.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर यानी 2 अरब रुपये से ज्यादा का जुर्माना लगाया है। इसे अमेरिकी इतिहास में राजनीतिक प्रचार अभियान से जुड़ी सबसे बड़ी वित्तीय सजा माना जा रहा है। किंग काउंटी सुपीरियर कोर्ट के न्यायाधीश डगलस नॉर्थ ने वाशिंगटन के फेयर कैंपेन प्रैक्टिस एक्ट के तहत मेटा को राजनीतिक विज्ञापनदाताओं के नाम-पतों का खुलासा न करने पर यह जुर्माना लगाया है। इस पूरे मामले पर मेटा ने कोई जवाब नहीं दिया है। वाशिंगटन के पारदर्शिता कानून के तहत मेटा को राजनीतिक विज्ञापनदाताओं के नाम-पते बताने जरूरी हैं। कंपनी को ऐसे किसी भी यूजर को मांगने पर विज्ञापनदाताओं के नाम और पते बताने होंगे। लेकिन मेटा ने अदालत में बार-बार इस पर आपत्ति की। फेसबुक ने राजनीतिक विज्ञापनों के आर्काइव रखे हुए हैं, जिसको वह प्रसारित भी करता है, लेकिन इस कानून के तहत सूचना को जरूरी तौर पर सार्वजनिक करने का पालन नहीं किया।

मेटा इंडिया के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजीत मोहन ने बृहस्पतिवार को इंटरनेट और इसकी सुरक्षा के संबंध में भारत की नीति की सराहना की। मोहन ने कहा, हम सरकारी विनियमन का स्वागत करते हैं। भारत में सरकार इंटरनेट सुरक्षा के लिए कंपनियों को जवाबदेह ठहराने के बारे में मुखर रही है और हम इस एजेंडे के साथ पूरी तरह से जुड़े हुए हैं। मेटा इंडिया के प्रमुख ने कहा, जिस तरह से भारत सरकार ने देश में इंटरनेट सेवाओं और व्यावहारिक रूप से डिजिटल सेवाओं को बढ़ावा दिया है। यह एक उल्लेखनीय काम है। अंतरराष्ट्रीय पुलिस एजेंसी इंटरपोल ने कहा, मेटावर्स साइबर अपराध की दुनिया में नई तरह के अपराध को जन्म देगा। एजेंसी ने इससेे मौजूदा अपराध की तीव्रता बढ़ने की आशंका जताते हुए संभावित खतरों से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है। इंटरपोल के कार्यकारी निदेशक मदन ओबरॉय ने कहा, इंटरपोल के सदस्य देशों ने मेटावर्स अपराधों पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा, कुछ मौजूदा अपराध इस माध्यम के जरिये बड़े पैमाने पर घटित हो सकते हैं।

ओबेरॉय ने कहा, इसमें फिशिंग और घोटाले अलग तरह से काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बाल सुरक्षा भी चिंता का विषय हैं। ओबेरॉय ने कहा कि आभासी दुनिया असली दुनिया में अपराध करनेे में सहायक हो सकती है। केंद्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसी यूरोपोल ने कहा था कि आतंकी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। कोई आतंकी संगठन हमला करना चाहता है तो वह पहले आभासी दुनिया में हमले की योजना तैयार कर सकता है।


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