केंद्रीय मंत्री ने दी पुराने वाहनों पर Green tax लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी
केंद्र सरकार प्रदूषण (Pollution) के मद्देनजर पुराने वाहनों पर ग्रीन टैक्स (Green Tax on Old Vehicles) लगाने की तैयारी कर रही है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। केंद्र सरकार प्रदूषण (Pollution) के मद्देनजर पुराने वाहनों पर ग्रीन टैक्स (Green Tax on Old Vehicles) लगाने की तैयारी कर रही है. इसी कड़ी में केंद्रीय सड़क, परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (MoRTH Nitin Gadkari) ने प्रदूषण फैलाने वाले पुरानी वाहनों पर ग्रीन टैक्स के तौर पर शुल्क लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. अब इस प्रस्ताव को विचार-विमर्श के लिए राज्यों को भेजा जाएगा. राज्यों से हरी झंडी मिलने के बाद इस टैक्स को अधिसूचित (Notify) कर दिया जाएगा. सड़क, परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के मुताबिक, 8 साल से पुराने वाहनों पर फिटनेस सर्टिफिकेट के नवीकरण के समय रोड टैक्स (Road Tax) का 25 फीसदी तक ग्रीन टैक्स वसूला जा सकता है.
15 साल से ज्यादा पुराने वाहन नष्ट करने की नीति जल्द बनेगी
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने पिछले हफ्ते एक कार्यक्रम के दौरान बताया था कि 15 साल से ज्यादा पुराने वाहनों को नष्ट करने की वाहन परिमार्जन नीति को जल्द हरी झंडी मिल जाएगी. केंद्र ने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए 26 जुलाई 2019 को मोटर वाहन नियमों में संशोधन का प्रस्ताव दिया था, जिसके तहत 15 साल से ज्यादा पुराने वाहनों को नष्ट करने का नियम था. उन्होंने कहा था, 'हमने प्रस्ताव दे दिया है. उम्मीद है कि जल्द इसे मंजूरी मिलेगी. इसका उद्देश्य पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को हटाकर ऑटोमोबाइल क्षेत्र में मांग को बढ़ावा देना है. हालांकि, इस मामले में अंतिम फैसला प्रधानमंत्री कार्यालय को लेना है.
इस्पात और सीमेंट का विकल्प तलाशने की है बहुत जरूरत'
देश में इस्पात की बढ़ती कीमतों के बीच गडकरी ने इस्पात और सीमेंट का विकल्प तलाशने की जरूरत पर जोर दिया, ताकि कीमतों में कमी लाई जा सके. एमएसएमई मंत्री ने कहा कि उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के कुछ लोगों से सीमेंट और इस्पात के विकल्पों पर शोध करने के लिए कहा है. इस्पात की कीमतों में पिछले छह महीनों में 65 फीसदी वृद्धि हुई है. ऐसे में सस्ता विकल्प उपलब्ध होने पर इस्पात और सीमेंट की दरें घटेंगी. गडकरी ने यह भी कहा कि ग्रामोद्योग को सशक्त बनाकर लाखों लोगों को रोजगार दिया जा सकता है. ग्रामोद्योग क्षेत्र में सालाना पांच लाख करोड़ रुपये का कारोबार हो सकता है