भारत और UAE में व्यापार समझौता, पांच साल में 100 अरब डॉलर पहुंचेगा व्यापार, अर्थव्यवस्था के लिए होगा बूस्टर?
India-UAE Free Trade Agreement: भारत और यूएई के बीच व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते पर मुहर लग गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नायहान (Mohammed bin Zayed Al Nahyan) के बीच हुई वर्चुअल शिखर बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच इस महत्वपूर्ण आर्थिक समझौते पर दस्तखत किए गए.
खाड़ी देशों में सबसे ज्यादा भारतीय कामगारों को रोजगार देने वाले और मजबूत आर्थिक रिश्तों वाले यूएई के साथ हुए इस समझौते की 10 बड़ी बातें जानिए-
यह बीते एक दशक के दौरान हुआ भारत का पहला व्यापक व्यापार समझौता है. साथ ही इसे किन्हीं दो देशों के बीच सबसे कम अवधि में हुआ करार भी कहा जा रहा है. इस समझौते को महज 3 महीने में मुकम्मल कर दिया गया.
इस आर्थिक सहयोग समझौते के सहारे अफ्रीका और एशिया के बीच नए कारोबारी रास्ते खुलेंगे.
इस समझौते से भारतीय निर्यातकों को जहां यूएई के बाजार में अधिक जगह मिलेगी. वहीं अरब और अफ्रीका में उनकी हिस्सेदारी भी बढ़ सकेगी.
भारत में श्रमिक आधारित उद्योगों को इसका लाभ मिलेगा. खास तौर पर जैम्स एंड ज्वेलरी, कपड़ा, चमड़ा, फुटवेयर, स्पोर्ट्स का सामान, फर्नीचर, कृषि और लकड़ी के उत्पाद, इंजीनियरिंग का सामान, फार्मास्यूटिकल और मेडिकल डिवाइस तथा ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्र.
द्विपक्षीय कारोबार को अगले पांच सालों में 100 अरब डॉलर तक ले जाने का प्रयास होगा. इसमें 15 अरब डॉलर तक सेवा क्षेत्र में द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाया जाना है.
इस समझौते के लागू होते ही शुल्क शून्य हो जाएगा. इसका लाभ भारत से यूएई को निर्यात किए जाने वाले 90 प्रतिशत उत्पादों को हासिल होगा. खासतौर पर 26 अरब डॉलर के ऐसे उत्पादों का फायदा मिलेगा जिन्हें अभी तक यूएई में 5 प्रतिशत ड्यूटी देना पड़ती थी.
साथ ही अगले 5-10 सालों के भीतर इलैक्ट्रॉनिक सामान, कैमिकल और पैट्रोकैमिकल, सिमेंट, सिरामिक, मशीन आदि पर शुल्क अगले 5-10 सालों में घटाया जाएगा.
यूएई करीब 80 प्रतिशत टैरिफ लाइंस पर भारत के लिए शून्य शुल्क की सुविधा देगा. इसके तहत वस्तु, रूल्स ऑफ ओरिजन, सेवाओं का व्यापार, टेलिकॉम, विवाद निपटारा, दवाएं, डिजिटल कारोबार आदि क्षेत्र शामिल हैं.
पहली बार किसी व्यापार समझौते में फार्मास्यूटिकल के लिए एक अलग उपबंध की व्यवस्था की गई है. इससे भारतीय दवाओं को यूएई की बाजार में जगह बनाने में मदद मिलेगी.
भारत के ढांचागत क्षेत्र में यूएई निवेश बढ़ाएगा. साथ ही इस समझौते से दोनों देशों में छोटे और मझौली उत्पादन इकाइयों को अपनी अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति बढ़ाने का मौका मिलेगा.