2001 में बदली गई यह परंपरा! पहले शाम को पेश होता था बजट, एनडीए सरकार में हुआ बदलाव

लेक‍िन यद‍ि आप दो दशक पहले की बात करें तो यून‍ियन बजट (Union Budget 2022) को शाम 5 बजे पेश किया जाता था

Update: 2022-02-01 05:52 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Budget 2022 : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) चौथी बार बजट पेश करने वाली पहली मह‍िला व‍ित्‍त मंत्री होंगी. अब से कुछ घंटे बाद व‍ित्‍त मंत्री का बजट भाषण शुरू हो जाएगा. अब बजट भाषण सुबह 11 बजे शुरू होता है. लेक‍िन यद‍ि आप दो दशक पहले की बात करें तो यून‍ियन बजट (Union Budget 2022) को शाम 5 बजे पेश किया जाता था.

सालों तक न‍िभाई गई अंग्रेजों की परंपराएं
कुछ लोगों के ल‍िए यह जानकारी नई भी हो सकती है. ऐसे लोगों के ल‍िए यह जानना कम द‍िलचस्‍प नहीं होगा क‍ि केंद्रीय बजट को शाम के समय क्यों पेश किया जाता था और अब यह 11 बजे क्यों पेश किया जाने लगा? देश को आजादी मिलने के बाद अंग्रेजों की कई परंपराओं को सालों तक न‍िभाया गया. इसमें बजट को शाम 5 बजे पेश करने की भी परंपरा शामिल थी.
एनडीए सरकार में हुआ बड़ा बदलाव
शाम 5 बजे बजट पेश करने की परंपरा को 2001 की एनडीए सरकार में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने बदलकर सुबह 11 बजे क‍िया था. उसके बाद से हर साल बजट सुबह 11 बजे ही पेश किया जाता है. बाद में इस परंपरा को यूपीए के शासनकाल में भी न‍िभाया गया.
शाम के समय क्‍यों पेश होता था बजट?
शाम के 5 बजे बजट पेश करने की परंपरा देश में अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही थी. इस समय बजट पेश करने का मुख्‍य कारण था ब्र‍िटेन का बजट. दरअसल, ब्रिटेन में बजट सुबह 11.00 बजे पेश किया जाता था, इसमें भारत के लिए भी बजट शामिल होता था. ऐसे में भारत में उसी समय पार्लियामेंट में बजट पास करना जरूरी था.
2001 में हुआ यह बदलाव
शाम 5 बजे का समय चुनने के पीछे कारण था क‍ि ब्रिटेन में उस समय 11.30 बज रहे होते थे. इस तरह ब्रिटिश सरकार की तरफ से शुरू की गई परंपरा को आजादी के बाद भी न‍िभाया गया. बाद में इसमें यशवंत सिन्हा ने 2001 में बदलाव किया.
आम बजट का ह‍िस्‍सा बना रेल बजट
बाद में मोदी सरकार ने हर साल 28 फरवरी को पेश होने वाले आम बजट को एक फरवरी को पेश करना शुरू क‍िया. इसके अलावा उन्‍होंने अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही एक और परंपरा बदली. सरकार ने अलग पेश होने वाले रेल बजट को भी आम बजट में ही शामिल कर दिया. रेल बजट को अलग से पेश करने की परंपरा खत्म करने का सुझाव तत्‍कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने दिया था.


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