अरुण केजरीवाल
नई दिल्ली: शेयर बाजारों के बेंचमार्क सूचकांक शुक्रवार 16 जून को ऐतिहासिक उच्चतम स्तर पर बंद हुए। दोनों सूचकांकों ने पिछला रिकॉर्ड छह महीने पहले बनाया था। इससे पहले 1 दिसंबर 2022 को बीच कारोबार में और कारोबार की समाप्ति पर उन्होंने रिकॉर्ड ऊंचाई को छुआ था।
बीएसई सेंसेक्स का उच्चतम स्तर शुक्रवार को 63,384.58 अंक था जबकि निफ्टी का 18,826 अंक था। इससे पहले 1 दिसंबर 2022 को स्तर क्रमश: 63,284.19 अंक और 18,812.50 अंक रहा था। गौरतलब है कि 20 मार्च 2023 को बाजार क्रमश: 57,084.91 अंक और 16,828.35 अंक के निचले स्तर तक उतर गया था।
संक्षेप में, 22 दिसंबर के बाद लगभग साढ़े तीन महीने में बीएसई सेंसेक्स में लगभग 6,000 अंक और निफ्टी में 2,000 अंक की गिरावट रही, लेकिन अगले तीन महीने में उससे ज्यादा बढ़त हासिल कर ली। मुख्य रूप से दो प्रश्न जेहन में आते हैं - आगे क्या और क्या यह तेजी टिकाऊ है? तेजी काफी मुश्किल से लौटी है और प्रमुख क्षेत्रों में अभी भी तेजी नहीं है। दूसरा, पिछले एक-डेढ़ साल में मुद्रास्फीति और बढ़ती ब्याज दरें वैश्विक बाजारों के लिए एक महत्वपूर्ण कारक रही हैं। सौभाग्य से, इन दोनों मामलों में भारत ने तुलना में अच्छा या बेहतर प्रदर्शन किया है। ऐसा लगता है कि 6.5 प्रतिशत पर ब्याज दरें चरम पर पहुंच गई हैं और किसी भी बदलाव की उम्मीद से पहले कुछ समय के लिए स्थिर की संभावना है। वहीं, यूएस फेड रेट 5-5.25 फीसदी पर ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो ऊंचे स्तर पर लगता है।
आर्थिक दृष्टिकोण से दिलचस्प तथ्य यह है कि भारतीय और अमेरिकी ब्याज दरों के बीच का अंतर 1.25-1.5 प्रतिशत के बीच है, जो पिछले 25 साल या उससे भी ज्यादा समय में शायद सबसे कम है।
कोविड के बाद कॅमोडिटी की कीमतों और अंतर्राष्ट्रीय माल भाड़ा में वृद्धि अब अतीत की बात लगती है और वे सामान्य के करीब हैं। भारत का जीएसटी संग्रह अब औसतन 1.5 लाख करोड़ रुपये मासिक है और यह उम्मीद करना उचित होगा कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक हम 1.8 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को छू लेंगे। कर संग्रह भी बहुत अच्छे स्तर पर है जो दशार्ता है कि कॉपोर्रेट भारत ने अच्छा प्रदर्शन किया है।
एफपीआई पिछले तीन-चार महीने में शुद्ध रूप से लिवाल रहे हैं। एसआईपी के माध्यम से रिकॉर्ड प्रवाह के साथ उनके फंड इन्फ्यूजन ने घरेलू संस्थानों को भी मदद की है। भारतीय रुपया भी स्थिर रहा है।
भविष्य की बात करें तो सबसे बड़ा नकारात्मक कारक मानसून का रुख है। हालांकि अभी यह शुरुआत है और आगे चीजें नाटकीय रूप से बदल सकती हैं। यह पैक में जोकर हो सकता है। औसत से काफी कम मॉनसून मुद्रास्फीति को बढ़ा सकता है और कीमतों में तेजी आ सकती है। यह 'ग्रामीण भारत' को काफी बुरी तरह प्रभावित करेगा।
बाजार के मोर्चे पर हमारे पास बीच कारोबार का रिकॉर्ड बनाने के लिए अभी भी एक छोटी सी दूरी है जो एक औपचारिकता लगती है और इस सप्ताह यह पूरी हो जानी चाहिए। आम तौर पर जब इस तरह की उपलब्धि हासिल की जाती है तो तीन प्रतिशत स्पिलओवर होने की संभावना होती है। यह बीएसई सेंसेक्स में यह लगभग 2,000 अंक और निफ्टी में लगभग 600 अंक होगा। एक बार यह हासिल हो जाने के बाद, चीजों पर नए सिरे से विचार करना होगा और बाजारों के बारे में नए सिरे से निर्णय लेना होगा। उस समय ट्रिगर अप्रैल-जून तिमाही के कंपनियों के वित्तीय परिणाम हो सकते हैं जो लगभग तीन सप्ताह में आने शुरू हो जाएंगे।
बाजार की तेजी में पिछड़ने वाले क्षेत्रों में फार्मा और आईटी हैं। फार्मा में सुधार के शुरुआती संकेत दिख रहे हैं जबकि आईटी में कुछ समय लग सकता है। बैंकिंग अभी भी अग्रणी है और उसे अग्रणी बने रहना होगा क्योंकि यह निफ्टी में 42 प्रतिशत के भारांक के साथ सबसे महत्वपूर्ण है। इस तेजी में रिटेल का प्रदर्शन भी अच्छा रहा है। मिडकैप और स्मॉलकैप भी तेजी से बढ़ रहे हैं और वास्तव में अच्छा कर रहे हैं। बाजार का दायरा काफी बढ़ गया है। चीजें अच्छी दिख रही हैं और अभी सावधान होने का समय नहीं आया है। हालांकि, जहां तक स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों का संबंध है, निवेश करने से पहले कंपनी क्या करती है, इस पर गौर करने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए।
(अरुण केजरीवाल केजरीवाल रिसर्च एंड इंवेस्टमेंट सर्विसेज के संस्थापक हैं। व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं)