इस दिवाली लंबे इंतज़ार के बाद फिर लौटेगी व्यापारियों के चेहरों पर रौनक
कोविड-19 (Covid-19) के चलते मंदी की मार झेल रहे देश भर के बाज़ारो को इस दीवाली (Diwali) से काफी उम्मीदें हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| नई दिल्ली, कोविड-19 (Covid-19) के चलते मंदी की मार झेल रहे देश भर के बाज़ारो को इस दीवाली (Diwali) से काफी उम्मीदें हैं। एक तरफ जहां पिछले कई महीनों से घर मे कैद आम जनता को लंबे समय के बाद किसी बड़े त्योहार (Festival) में खुल के खरीदारी करने का अवसर मिलेगा तो वहीं खर्च बढ़ाने के लिए सरकार की नई एलटीसी कैश वाउचर योजना (LTC Cash Voucher Scheme) के चलते गिरते बाज़ार को मजबूती मिलेगी।
अर्थव्यवस्था में आएगी नई जान
सरकार का कहना है कि नई एलटीसी कैश वाउचर योजना और 10 हजार रुपये की फेस्टिवल एडवांस योजना से अर्थव्यवस्था में नई जान आएगी। वहीं कारोबारियों का कहना है कि इससे पिछले कई महीनों से निराश बैठे और नुकसान उठा रहे व्यापारियों को थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। लोगों द्वारा पिछले सात महीनों में की गई बचत, केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में सरकारी कर्मचारियों को एलटीसी को नकद में बदलने का आदेश और व्यापारियों द्वारा चीन से दिवाली त्यौहार सीजन पर प्रतिवर्ष होने वाली खरीद का सारा पैसा देश में ही खर्च करने के चलते आगामी 31 मार्च 2021 तक देश के बाज़ारों में लगभग 2 लाख करोड़ रुपये खर्च होने की सम्भावना है जिसको लेकर देश भर के व्यापारी उत्साहित हैं।
फेस्टिवल सीजन में बढ़ेगा फुटफॉल
कंफेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT),के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल का मानना है कि इस दीवाली से देश भर के बाज़ार और व्यापारियों को काफी आशाएं हैं। कोरोना के चलते बाज़ार और व्यापार पूरी तरह से बंद पड़े थे, और लॉकडाउन खुलने के बाद से अब तक व्यापार में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। पर देश भर में व्यापार अभी तक पटरी पर नही लौट पाया है। पर इस दीवाली फेस्टिवल सीजन से बाज़ार में फुटफॉल और खरीदारी बढ़ने की पूरी संभावना है।
चीन से घटा है आयात
चीन के साथ खराब होते भारत के रिश्ते का असर भारत-चीन व्यापार पर पूरी तरह से पड़ता दिख रहा है। कैट का कहना है कि हर साल राखी से लेकर दिवाली तक चलने वाले फेस्टिवल सीजन में इन त्योहारो से जुड़े सामानों का तकरीबन 40 हज़ार करोड़ रुपये का आयात चीन से होता है। पर, इस बार चीन को लेकर भारतीय उपभोक्ता की सोच पूरी तरह बदल गई है।जिसकी बानगी हाल ही में गुजरे रक्षाबंधन और गणेश चतुर्थी जैसे त्योहारो में देखने को मिली है। चीन को राखी पर करीब 5,000 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा तो वही गणेश चतुर्थी में 500 करोड़ की चपत खानी पड़ी। व्यापारियों ने जहाँ एक तरफ इन त्योहारों में चीनी सामानों को बेचने का पूरी तरह बहिष्कार किया तो वहीं लोगों ने भी चीनी सामानों की खरीदारी करने से इंकार किया। इस ट्रेंड और लोगों में भारतीय सामानों को लेकर बढ़ते क्रेज को देखते हुए इसका आसान अनुमान लगाया जा सकता है कि इस दिवाली पर चीन को 40 हज़ार करोड़ रुपये का झटका लगने वाला है। जिसकी पूर्ति हमारा देसी बाज़ार करेगा।
हो रही थी सिर्फ जरूरी वस्तुओं की खरीदारी
खंडेलवाल का कहना है कि बीते अप्रैल से अगस्त महीने तक लोगों ने केवल आम जरूरतों पर ही खर्च किया है। अनुमान लगाया जा सकता है कि बीते सात महीनों में देश भर में लोगों ने कुल मिला कर 1.5 लाख करोड़ की बचत अवश्य की है। जिसका लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा जो करीब 60 हज़ार करोड़ का है, इस दीवाली पर बाज़ारों में खर्च किये जा सकते हैं। इस अनुमान का सीधा फायदा व्यपारियों तक पहुचता दिख रहा है।