म्यूचुअल फंड के इस डिजिटल भुगतान चेक से होगा ये विशेष फायदे, जानिए कैसे
म्यूचुअलफंड निवेशकों को इस तरह की समस्या से बचने के लिए चेक की जगह डिजिटल भुगतान का इस्तेमाल करना चाहिए।
जनता से रिश्ता बेवङेस्क | म्यूचुअलफंड निवेशकों को इस तरह की समस्या से बचने के लिए चेक की जगह डिजिटल भुगतान का इस्तेमाल करना चाहिए। चेक के क्लियर होने में तीन दिन तक लगते हैं। इसके चलते निवेशकों को बाजार में तेजी का तुरंत लाभ नहीं मिलता है। डिजिटल भुगतान में यह समस्या हद तक नहीं होती है।
एमएफ यूनिट के आवंटन में देरी के क्या कारण?
एनपीसीआई द्वारा संचालित स्वचालित भुगतान प्रणाली, एनएसीएच में प्लांड सिस्टम अपग्रेट के कारण भुगतान में देरी हुई। इसका असर एकमुश्त भुगतान और एसआईपी म्यूचुअल फंड यूनिट के आवंटन पर भी हुआ। नतीजतन, खरीदी गई यूनिट उसी दिन आवंटित नहीं हुआ। सेबी के नियमों के अनुसार, 1 फरवरी से फंड हाउस को पूरा पैसा मिलने के बाद ही यूनिट्स का आवंटन किया जाएगा। भुगतान में देरी से निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। वे बजट के बाद की बाजार रैली का लाभ नहीं उठा सके।
म्यूचुअल फंड यूनिट कैसे आवंटित की जाती हैं?
एमएफ यूनिट खरीदने के लिए दो शर्तें पूरी होनी चाहिए। सबसे पहले, निवेशक को इक्विटी और डेट एमएफ स्कीमों के लिए कट-ऑफ टाइम- दोपहर तीन बजे से पहले ऑर्डर देना चाहिए, और लिक्विड फंड्स के लिए 1.30 बजे तक ऑर्डर देना चाहिए। दूसरा, निवेशकों का पैसा यूनिट्स आवंटित होने से पहले फंड हाउस तक पहुंचना चाहिए।
क्या यह एसआईपी को भी प्रभावित करता है?
हां, भले ही आपका एसआईपी किसी विशेष दिन के लिए निर्धारित हो, लेकिन यूनिट्स आवंटित होने से पहले धन को फंड हाउस तक पहुंचना जरूरी है। यह एसटीपी या लिक्विड फंडों से इक्विटी फंडों में स्विच करने के मामले में कोई समस्या नहीं है। हालांकि, एसआईपी निवेश हर महीने होता है। ऐसे में एक एसआईपी की किस्त में देरी से आपके रिटर्न पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है।
भुगतान में देरी का क्या असर ?
आप जिस दिन यूनिट के लिए भुगतान करेंगे उस दिन आपको यूनिट अलॉट नहीं होगा। इसका नुकसान यह है कि अगर आप एक बड़ा रकम एक साथ निवेश कर रहे हैं और बाजार में उस दिन बड़ा उछाल आता है तो आप उस अवसर को लेने से चुक जाते हैं। हालांकि, एसआईपी मामले में इस तरह का बड़ा नुकसान नहीं होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, म्यूचुअलु फंड में निवेश में हमेशा डिजिटल भुगतान का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे यूनिट आवंटन में देरी नहीं होती है। वहीं, चेक से भुगतान करन पर देरी हो जाती है।
इससे बचने का रास्ता क्या है?
अगर आप यूपीआई के जरिये भुगतान करते हैं तो आपको उसी दिन अलॉटमेंट मिल जाता है। इसके साथ ही भुगतान के लिए एक ही बैंक का इस्तेमाल भी देरी से बचाता है। एक अन्य विकल्प है ईटीएफ जो आप अपने स्टॉक ब्रोकर के माध्यम से खरीद सकते हैं। ईटीएफ दिन भर कारोबार करता है आप उसकी मूल्य को देख सकते हैं। इसके साथ सेबी और आरबीआई को इस मामले में दखल देना होगा।