अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के इस फैसले से... भारत की अर्थव्यवस्था में क्या पड़ेगा सीधा असर
जो बाइडेन ने अमेरिकी के 46वें राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही कई बड़े फैसले किए है.
जनता से रिश्ता बेवङेस्क | जो बाइडेन ने अमेरिकी के 46वें राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही कई बड़े फैसले किए है. अंतर्राष्ट्रीय पेरिस जलवायु समझौते में अमेरिका का दोबारा शामिल होना. वहीं, राहत पैकेज की उम्मीद बढ़ गई है. इस फैसले से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आई है. इसीलिए भारत में पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें बढ़ गई. एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर पेट्रोल-डीज़ल के दामों में तेजी का दौर जारी रहा तो आने वाले दिनों में रोजमर्रा के सामान भी महंगे हो जाएंगे.
महंगे हो सकते हैं रोजमर्रा के सामान- अगर कच्चे तेल की कीमतों में जारी तेजी थमी नहीं तो घरेलू स्तर पर पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों में तेजी जारी रहेगी. एनर्जी एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अगर सरकार टैक्स कटौती करती है तभी पेट्रोल-डीज़ल के दामों में कमी आ सकती है वरना कीमतों के थमने की संभावना नजर नहीं आ रही है.
इन परिस्थितियों के बीच तेल के दाम बढ़ने का सबसे ज्यादा असर आम आदमी पर पड़ेगा. कोरोना काल में पहले से ही महंगाई आम आदमी की टेंशन बढ़ा रही है. वहीं, अब डीज़ल महंगा होने से ट्रकों से होने वाली ढुलाई महंगी हो सकती है. इसका असर रोजमर्रा की चीजों में बढ़ोतरी के रूप में देखा जा सकता है.
खास कर सब्जियों के भाव बढ़ सकते हैं. कोरोना के दौरान सब्जियों की रेट कुछ स्थिर दिखी थी. हाल में प्याज और टमाटर के भाव छोड़ दें तो कीमतों में लगभग स्थिरता बनी हुई थी. तेल की सप्लाई घटने पर कीमतों में उछाल देखी जा सकती है.
आपको बता दें कि पिछले कुछ महीनों में भारत में पेट्रोल और डीज़ल के दाम तेज़ी से बढ़े हैं. बुधवार को जयपुर में पेट्रोल की कीमत 92.69 रुपए प्रति लीटर थी, जो देश में सब से महंगा था, जबकि चंडीगढ़ में पेट्रोल 82.04 रुपए प्रति लीटर पर बिका, जो सबसे सस्ता था.
अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति बने जो बाइडेन ने पद संभालते ही कई बड़े फैसलों पर हस्ताक्षर कर दिए हैं.
राहत पैकेज के आने से ऐसा क्या होगा
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि राहत पैकेज के आने से अमेरिका समेत दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं की आर्थिक ग्रोथ को सहारा मिलेगा. ऐसे में कच्चे तेल की डिमांड बढ़ने की उम्मीद है. इसीलिए कच्चे तेल के दाम बढ़ रहे है. आपको बता दें कि अक्टूबर से लेकर अब तक कच्चे तेल के दाम 40 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 60 डॉलर प्रति बैरल हो गए है.
साउदी अरब के फैसले से भी बढ़ेंगे कच्चे तेल के दाम
सऊदी अरब और ओपेक देशों के कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती से अब ये क़ीमतें और भी बढ़ेंगी. आने वाले महीनों में तेल के दाम बढ़ेंगे जिससे पोस्ट-कोविड रिकवरी के चरण में अधिक दिक्कतें पैदा हो सकती हैं और इसका असर ये होगा कि पेट्रोल और डीज़ल समेत कई चीजे महंगी हो जाएंगी.
सऊदी अरब के नेतृत्व में तेल पैदा वाले ओपेक देशों ने कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती की घोषणा कर दी है, जिससे भारत जैसे कच्चे तेल इंपोर्ट करने वाले देशों पर सीधा असर होगा. क्योंकि भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से अधिक का कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है. अमेरिका और चीन के बाद भारत कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है.
आपको बता दें कि भारत में अलग-अलग राज्य में अलग-अलग दाम पर उपभोक्ताओं को पेट्रोल और डीज़ल मिलता है. ऐसा इसलिए क्योंकि राज्य सरकारें और स्थानीय प्रशासन ऊर्जा पर अलग-अलग टैक्स लगाती हैं. अभी भी विदेशी मार्केट में कच्चा तेल अधिक महंगा नहीं है. भारत में अगर पेट्रोल और डीज़ल महंगे दामों में बिक रहा है, तो उसका एक बड़ा कारण इन पर लगाए गए ये टैक्स हैं.
राष्ट्रपति जो बाइडेन वो फैसला जिससे 5 लाख भारतीयों को होगा फायदा
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अमेरिका में रहे प्रवासियो को राहत देने वाले एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं. इस आदेश से 1.1 करोड़ ऐसे प्रवासियों को फायदा होगा जिनके पास कोई कानूनी दस्तावेज नहीं है.
इसमें करीब 5 लाख लोग भारतीय हैं. जो बाइडेन ने शपथ लेने के बाद सबसे पहले आव्रजन प्रणाली को पूरी तरह से बदलने की शुरुआत की.
जो बाइडन ने अमेरिकी कांग्रेस से अनुरोध किया है कि वह 1.1 करोड़ अवैध प्रवासियों को स्थायी दर्जा और उन्हें नागरिकता का रास्ता तय करने के लिए कानून बनाए.