ये कार कंपनी कर्मचारियों को देंगी 70.84 करोड़ रुपए, पढ़ें पूरा मामला

आदेश के अनुसार वेतन समझौता लंबित रहने तक अंतरिम राहत मिलेगी

Update: 2021-08-18 15:13 GMT

रेनॉ निसान ऑटोमोटिव इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के 3,542 कर्मचारियों को मध्यस्थ, मद्रास हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस पी. ज्योतिमणि के आदेश के अनुसार वेतन समझौता (Wage Settlement) लंबित रहने तक अंतरिम राहत मिलेगी. अंतरिम राहत के रूप में कंपनी के लिए कुल खर्च 70.84 करोड़ रुपए होगा.


आदेश के अनुसार, रेनॉ निसान ऑटोमोटिव के 3,542 कर्मचारियों में से प्रत्येक को 1 अप्रैल, 2019 से 31 मार्च, 2020 के बीच की अवधि के लिए 10,000 रुपए , माह और 1 अप्रैल, 2020 से जुलाई के बीच 5,000 रुपए प्रति माह की अंतरिम राहत का भुगतान किया जाएगा. कंपनी को इस साल अक्टूबर से कर्मचारियों को तीन बराबर मंथली किश्तों में वेतन बकाया का भुगतान करने का आदेश दिया गया था. श्रमिकों ने 20,000 रुपए प्रति माह की अंतरिम राहत की मांग की थी, जबकि कंपनी ने 3,542 श्रमिकों में से प्रत्येक को 1,00,000 रुपए की एकमुश्त राशि की पेशकश की थी, जो कि 35.42 करोड़ रुपए थी.

रेनॉल्ट निसान इंडिया थोझीलालार संगम (आरएनआईटीएस) और कंपनी मैनेजमेंट की तरफ से लीड किए गए श्रमिकों के बीच पहले का वेतन समझौता 31 मार्च, 2019 को समाप्त हो गया है. यूनियन के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि यह पहली बार है जब देश के इस हिस्से में औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 10ए के तहत किसी मल्टीनेशनल कंपनी में कोई औद्योगिक विवाद मध्यस्थता के लिए गया है.

दोनों कंपनियों की 53 मांगों पर होगा फैसला
रेनॉल्ट निसान ऑटोमोटिव इंडिया फ्रांसीसी कंपनी रेनॉल्ट और जापान की निसान मोटर कंपनी के बीच कार प्रोडक्शन जॉइंट वेंचर है. आरएनआईटीएस (38 मांगों) और रेनॉल्ट निसान ऑटोमोटिव मैनेजमेंट (15 मांगों) दोनों द्वारा उठाई गई 53 मांगों पर मध्यस्थ फैसला करेगा.

रेनॉल्ट-निसान गठबंधन की चेन्नई फैसिलिटी के श्रमिकों ने एक औद्योगिक मध्यस्थता दायर की, जिसमें मासिक अंतरिम निपटान के रूप में 20,000 रुपए की मांग की गई. यह मामला पिछले वेतन समझौते के मार्च 2019 में समाप्त होने के बाद आया. जवाब में, रेनॉल्ट और निसान मार्च 2021 को समाप्त होने वाले हर महीने औसतन 2,250 रुपए का भुगतान करने पर सहमत हुए लेकिन कर्मचारी अधिक वेतन की मांग कर रहे थे.

निसान और रेनॉ दोनों की मुश्किल बढ़ी
निसान के लिए जनादेश ऐसे समय में आया है जब कंपनी देश में 1 बिलियन डॉलर का निवेश करने के बावजूद बेहतर बाजार हिस्सेदारी हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही है. ऑटोमेकर ने पिछले साल घोषणा की थी कि उसका टारगेट कुछ दूसरे प्रमुख बाजारों के बीच भारत में कारोबार को रिस्ट्रक्चर करना है. यह जनादेश रेनॉ के लिए भी एक झटके के रूप में आता है, जो लंबे समय से यहां होने के बावजूद भारतीय बाजार में संघर्ष कर रहा है.

(IANS इनपुट के साथ)


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