जीरे की खेती से होगी बंपर कमाई, बुआई से लेकर कमाई तक जानें सबकुछ

Update: 2022-01-25 06:16 GMT

नई दिल्ली: भारतीय रसोई की कल्पना मसालों के बिना नहीं की जा सकती हैं. मसालों का अधिकतर उपयोग भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है. जीरा भी ऐसा ही एक प्रमुख मसाला है. जीरे का उपयोग विभिन्न आयुर्वेदिक-हर्बल दवाओं में भी किया जाता है.

जीरे का इस्तेमाल पेट दर्द, मोटापा, पाचन और बवासीर, अस्थमा, अनिद्रा, त्वचा विकार, श्वसन संबंधी विकार, ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों के खिलाफ किया जाता है. भारत में प्रमुख जीरा उत्पादक राज्य गुजरात और राजस्थान हैं. हालांकि अन्य राज्यों में भी इसकी खेती का प्रसार बेहद तेजी से हो रहा है.
भारत में जीरे का पैदावार लगातार बढ़ रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जीरे की खेती सही तरीके से की जाए तो किसान लाखों से लेकर करोड़ों तक मुनाफा कमा सकता है. भारत में इस समय जीरे की RZ-19, जीसी-1, आरजेड 209 जैसी किस्मों की प्रमुख रूप से खेती की जाती है.
जीरे की फसल आर्द्र और भारी वर्षा में अच्छी तरह से नहीं बढ़ती है. यह मध्यम शुष्क और ठंडी जलवायु में अच्छी तरह से पनपता है और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु इसके लिए आदर्श माना जाता है.
जीरे की खेती के लिए दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है जिसमें कार्बनिक पदार्थों के साथ अच्छी जल निकासी की व्यवस्था हो. यदि आप व्यावसायिक खेती की योजना बना रहे हैं तो ऐसे खेतों का चयन करें जिसमें कम से कम पिछले 3 से 4 वर्षों के दौरान जीरा की खेती नहीं की गई है.
जीरे की खेती के लिए नवंबर से दिसंबर तक का महीना सबसे उपयुक्त माना जाता है. इसकी खेती के लिए सबसे पहले खेत की तैयारी करें. इसके बाद 5 से 8 फीट की क्यारी बनाएं. इसके बाद बुवाई शुरू कर दें. ध्यान रहें बुवाई हमेशा 30 सेमी दूरी से कतारों में करें.
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