Google में मचा हुआ है हड़कंप, वजह जान चौंक गए लोग

रिपोर्ट के मुताबिक, Google Q1 Results से ऐन पहले ये छंटनी की गई है.

Update: 2024-05-02 04:28 GMT
नई दिल्ली: दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन और टेक दिग्गज कंपनी गूगल (Google) में हड़कंप मचा हुआ है और छंटनी का सिलसिला जोरों पर है. बीते दिनों पूरी पाइथन टीम को निकालने के बाद अब एक बार फिर कंपनी में Layoff की बड़ी खबर आई है. इस बार गूगल की कोर टीम में छंटनी की तलवार चली है और 200 कर्मचारियों को इसका शिकार होना पड़ा है. रिपोर्ट के मुताबिक, Google Q1 Results से ऐन पहले ये छंटनी की गई है.
Google ने बीते 25 अप्रैल को अपनी पहली तिमाही की धमाकेदार इनकम रिपोर्ट करने से ठीक पहले अपनी कोर टीम में बड़ी छंटनी की थी. सीएनबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसके तहत कंपनी ने कम से कम 200 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है. इसके अलावा कहा गया है कि गूगल अपनी कुछ नियुक्तियों को भारत और मैक्सिको में ट्रांसफर करने पर विचार कर रहा है. गूगल में ये नई छंटनी बीते दिनों फ्लटर, डार्ट और पायथन टीमों से कर्मचारियों को निकालने के बाद देखने को मिली है.
रिपोर्ट के मुताबिक, Layoff का ऐलान Google डेवलपर इकोसिस्टम के वाइस प्रेसिडेंट असीम हुसैन ने किया और बीते सप्ताह कोर टीम में काम करने वाले अपने कर्मचारियों को इस संबंध में एक ईमेल भेजकर जानकारी दी थी. इसके अलावा उन्होंने एक टाउन हॉल में भी छंटनी और बदलाव को लेकर बात की थी. हुसैन ने कहा था कि यह इस साल उनकी टीम के लिए सबसे बड़ी नियोजित कटौती है.
Google की वेबसाइट के अनुसार, 'कोर' टीम कंपनी के प्रमुख उत्पादों के पीछे तकनीकी आधार तैयार करती है. टीम Google में अंतर्निहित डिजाइन, डेवलपर प्लेटफॉर्म, प्रोडक्ट्स कंपोनेंट्स और इंफ्रास्ट्र्क्चर की बड़ी जिम्मेदारी संभालती है. ताजा छंटनी को लेकर जारी इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हटाए गए पदों में से कम से कम 50 पद सनीवेल, कैलिफोर्निया में कंपनी के कार्यालयों में काम करने वाले इंजीनियरिंग सेक्शन के हैं.
इससे पहले गूगल में की गई छंटनी एक-दो कर्मचारियों तक सीमित नहीं थी, बल्कि कंपनी ने पूरी की पूरी टीम को ही आउट कर दिया था. रिपोर्ट के अनुसार कॉस्ट कटिंग का हवाला देते हुए गूगल ने अपनी पूरी पायथन (Python) टीम को नौकरी से निकाल दिया था. गौरतलब है कि पायथन टीम इंजीनियरों का एक ग्रुप है, जो अलग-अलग प्रोडक्टस में इस्तेमाल होने वाली प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की डिमांड संभालकर उसे स्टेबल रखने का नाम करती है.
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