6 तरह के होते हैं सेविंग अकाउंट, जरूरत के हिसाब से ऐसे करें चयन

इस तरह कुल मिलाकर 6 तरह के सेविंग अकाउंट होते हैं. आइए इनके बारे में बताते हैं.

Update: 2022-03-24 04:55 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज के वक्त में हर किसी का बैंक अकाउंट है. इसमें से ज्यादातर लोग सेविंग बैंक अकाउंट (Saving Bank Account) का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सेविंग अकाउंट भी कई तरह के होते हैं. कामकाजी लोगों के लिए अलग, बुजुर्गों के लिए अलग, महिलाओं के लिए अलग और बच्चों के लिए अलग तरह का सेविंग अकाउंट होता है. इस तरह कुल मिलाकर 6 तरह के सेविंग अकाउंट होते हैं. आइए इनके बारे में बताते हैं.

1. सैलरी सेविंग अकाउंट
इस तरह के अकाउंट कंपनियों की तरफ से बैंकों द्वारा उनके कर्मचारियों के लिए खोला जाता है. इस तरह के अकाउंट के लिए बैंक ब्याज ऑफर करते हैं. इसका इस्तेमाल कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए होता है. जब भी सैलरी देने का वक्त आता है, कंपनी के खाते से बैंक पैसा निकालकर कर्मचारियों के खाते में डाल देता है. इस तरह के अकाउंट के लिए कोई मिनिमम बैलेंस की शर्त नहीं होती है. अगर तीन महीने तक सैलरी नहीं आती है तो ये रेगुलर सेविंग अकाउंट में बदल जाता है.
2. जीरो बैलेंस सेविंग अकाउंट
इस तरह के अकाउंट में सेविंग और करेंट अकाउंट दोनों की खूबियां होती हैं. इसमें निकासी की एक सीमा होती है, मतल लिमिट से ज्यादा आप पैसा नहीं निकाल सकते. लेकिन आप पर कोई पेनल्टी भी नहीं लगती है अगर बैलेंस कम होता है.
3. रेगुलर सेविंग अकाउंट
ये कुछ बेसिक शर्तों पर खोला जाता है. इस तरह के अकाउंट में किसी तय रकम का रेगुलर डिपॉजिट नहीं होता है, इसका इस्तेमाल एक सेफ हाउस की तरह होता है, जहां पर आप अपना पैसा बस रख सकते हैं. इसमें मिनिमम बैलेंस की शर्त भी होती है.
4. महिला सेविंग अकाउंट्स
इस तरह के बैंक अकाउंट खास तौर पर महिलाओं को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं. जिसमें कई कुछ अलग तरह के फीचर्स होते हैं. महिलाओं को लोन पर कम ब्याज, डीमैट अकाउंट खोलने पर फ्री चार्ज और कई तरह की खरीदारियों पर डिस्काउंट ऑफर किए जाते हैं.
5. माइनर्स सेविंग अकाउंट
ये बच्चों के लिए के लिए होता है, इसमें मिनिमम बैलेंस की कोई जरूरत नहीं होती. ये सेविंग अकाउंट बच्चों की पढ़ाई के लिए उनकी बैंकिंग जरूरतों को पूरा करने के लिए होता है. इस तरह के बैंक अकाउंट को कानूनी गार्जियन की देखरेख में ही खोला और ऑपरेट किया जाता है. जब बच्चा 10 साल का हो जाता है तब वो अपना खाता खुद ऑपरेट कर सकता है. जब बच्चा 18 साल का होता है तो ये रेगुलर सेविंग अकाउंट में तब्दील हो जाता है.
6. सीनियर सिटिजंस सेविंग अकाउंट
ये बिल्कुल रेगुलर सेविंग्स अकाउंट की तरह ही काम करता है, लेकिन रेगुलर के मुकाबले सीनियर सिटिजंस को ये ज्यादा ब्याज दरें ऑफर करते हैं. इसलिए सीनियर सिटिजंस को ये अकाउंट ही खुलवाना चाहिए क्योंकि इसमें ब्याज ज्यादा मिलता है. ये बैंक अकाउंट सीनियर सिटिजंस की सेविंग स्कीम्स से भी लिंक रहता है, जिससे पेंशन फंड या रिटायरमेंट अकाउंट्स से फंड निकाला जाता है और जरूरतें पूरी की जाती हैं.


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