तुअर की फसल पर इल्लियों का बढ़ा प्रकोप, कृषि विभाग ने दी सलाह
महाराष्ट्र के किसान इन दिनों बेमौसम बारिश और बदलते मौसम के कारण परेशानी में हैं
महाराष्ट्र के किसान इन दिनों बेमौसम बारिश और बदलते मौसम के कारण परेशानी में हैं. बदलते मौसम से फसलों का नुकसान हो रहा है. भारी बारिश से सभी खरीफ फसलें प्रभावित हुई थीं और अब रबी सीजन में रुक-रुक कर हो रही बारिश की वजह से फसलें खराब हो रही हैं. अकोला जिले में चना समेत तुअर की फसले बर्बाद हो रही है.
जिले में करीब-करीब सभी जगह उमस का वातावरण है और पिछले कई दिनों से लगातार बादल छाए हुए हैं. ऐसा वातावरण कीटों के लिए बेहतर साबित हो रहा है और फसलों पर इल्लियों का संक्रमण बढ़ता ही जा रहा है. इस कारण किसान अपनी फसलों को लेकर चिंतित हो गए हैं. बेमौसम बारिश की वजह से बागवानी को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है.
कीटों का प्रकोप बढ़ने से उत्पादन में आ सकती है कमी
किसानों का कहना है कि जिस तरह से रुक-रुक कर बारिश हो रही है और कभी धूप कभी बारिश के चलते फसलों पर किट और बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है. तुअर के फसलों पर कीट लगने के कारण उत्पादन घट सकता है. दवाइयों के छिड़काव के बाद भी खतरा टल नहीं रहा. कई स्थानों पर मौसम में परिवर्तन तथा हल्की बारिश होने के कारण भी तुअर की फसलों को नुकसान पहुंचा है. यही सब देखकर ऐसा लगता है कि निश्चित ही इसका प्रभाव उत्पादन पर पड़ेगा. जिले के कई क्षेत्रों में बदलते मौसम और विविध प्रकार के कीटों से तुअर की फसल लगातार प्रभावित हो रही है. इस कारण अनेक क्षेत्रों में किसानों की चिंता बढ़ते ही जा रही है.
कृषि विभाग ने दी ये सलाह
तुअर की फसलों पर कीटों का बढ़ता प्रकोप देख कृषि विभाग की तरफ से किसनों को कहा गया है कि जल्दी ही फसलों पर प्रोफ्रेनोफॉस या विचनॉलफॉस 20 मिली लीटर 10 लीटर पानी में मिलाकर इसका छिड़काव करें. इसके साथ ही किसान भाई इमामेक्टिन बेंझोएट 4 ग्राम 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं. कोहरे का असर टालने के लिए इन दोनों कीटनाशकों के साथ कार्बेडाझिम 25 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर फव्वारा मार सकते हैं. इसी तरह कीटों पर नियंत्रण हेतु पक्षियों की बैठक भी उपयोगी साबित हो सकती है.