इस देश की सरकार ने अपने नागरिकों को चेताया, कहा- चीनी स्मार्टफोन को फेंक दें, जानें वजह
नई दिल्ली,: मेड इन चाइना स्मार्टफोन्स को लेकर एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई. लिथुआनिया की सरकार ने अपने नागरिकों को कहा है कि चीनी स्मार्टफोन को फेंक दें. इतना ही नहीं सरकार की ओर से ये भी कहा गया है कि भविष्य में चीनी फोन को ना खरीदें.
सरकार ने इसके लिए दो स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों के नाम को भी हाइलाइट किया है. इसने Xiaomi और Huawei स्मार्टफोन्स को फेंकने के लिए कहा है. इसके पीछे की वजह फोन के बिल्ट इन सेंसरशिप है. इससे कुछ टर्म्स को फोन में ब्लॉक कर दिया जाता है.
आपको ये भी बता दें कि ये आरोप लिथुआनिया नए ऐसे टाइम पर लगाया है जब दोनों देशों के बीच रिश्ते ठीक नहीं है. चीनी स्मार्टफोन्स पर ये आरोप लिथुआनिया रक्षा मंत्रालय के राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा केंद्र की एक नई रिपोर्ट में लगाया गया है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि Xiaomi फोन्स में 449 टर्म्स को सिस्टम ऐप ऑटोमैटिकली सेंसर्स कर देता है. इसमें फ्री तिब्बत, लॉन्ग लीव ताइवान इंडीपेंडेंस, डेमोक्रेस मूवमेंट जैसे वर्ड्स शामिल हैं. लिथुआनिया साइबर सिक्योरिटी के अनुसार यूरोप में शाओमी के फ्लैगशिप फोन Mi 10T 5G में सेंसरशिप कैपिबिलिटी पाई गई.
एजेंसी ने बताया कि इस यूरोपियन यूनियन रिजन के लिए बंद कर दिया गया लेकिन इसे रिमोटली कभी भी ऑन किया जा सकता है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार रक्षा उपमंत्री Margiris Abukevicius ने लोगों से अपील की नए चीनी फोन्स को ना खरीदें. इसके अलावा पुराने फोन को भी जल्द से जल्द हटा दें.
हमारे सहयोगी India Today Tech ने जब इस मामले में Xiaomi से बात की तो कंपनी ने बताया कि इसके डिवाइस में किसी तरह का सेंसरशिप सॉफ्टवेयर नहीं लगा है. ये यूजर्स के लीगल राइट्स को रिस्पेक्ट और प्रोटेक्ट करता है.
नेशनल साइबर सेंटर लिथुआनिया के अनुसार चीनी स्मार्टफोन्स में दूसरी खामी भी पाई गई. शाओमी को लेकर कहा गया कि फोन सिंगापुर के एक सर्वर पर एन्क्रिप्टेड फोन यूजेज डेटा को भेज रहा था.
इसके अलावा Huawei P40 5G में भी खामी पाई गई. हालांकि, वनप्लस इस जांच में दोषी नहीं पाया गया. Huawei ने भी इन आरोपों को BNS न्यूज वायर की बातचीत में नकार दिया.