देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा, 639.51 अरब डॉलर पर पहुंचा आंकड़ा, जाने
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 8 अक्टूबर को खत्म हुए हफ्ते में 2.039 अरब डॉलर बढ़कर 639.516 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने यह जानकारी दी है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 8 अक्टूबर को खत्म हुए हफ्ते में 2.039 अरब डॉलर बढ़कर 639.516 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने यह जानकारी दी है. 1 अक्टूबर को खत्म हुए पिछले हफ्ते में, रिजर्व में 1.169 अरब डॉलर की गिरावट आई थी. उस समय यह 637.477 डॉलर पर आ गया था. 3 सितंबर को खत्म हुए हफ्ते में यह 8.895 अरब डॉलर की बढ़ोतरी के साथ 642.453 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था.
फॉरेन करेंसी एसेट्स में इजाफा वजह
8 अक्टूबर को खत्म हुए समीक्षाधीन हफ्ते के दौरान, भंडार में बढ़ोतरी की वजह फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCAs) में इजाफा रहा है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के शुक्रवार को जारी साप्ताहिक डेटा में यह पता चला है. डेटा के मुताबिक, समीक्षाधीन हफ्ते में FCA 1.55 अरब डॉलर बढ़कर 577.001 अरब डॉलर पर पहुंच गया.
FCA को डॉलर की टर्म में देखा जाता है और इसमें फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व में रखी गैर-अमेरिकी यूनिट्स जैसे यूरो, पाउंड और येन में बढ़ोतरी और गिरावट का असर शामिल होता है.
स्वर्ण भंडार में भी बढ़ोतरी
सोने के भंडार में समीक्षाधीन हफ्ते में 464 मिलियन डॉलर की बढ़ोतरी देखी गई और यह 38.022 अरब डॉलर पर पहुंच गया. इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) के साथ मौजूद स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (SDRs) 28 मिलियन डॉलर बढ़कर 19.268 अरब डॉलर पर पहुंच गए हैं. डेटा के मुताबिक, IMF के साथ देश की रिजर्व की स्थिति में 3 मिलियन डॉलर की गिरावट देखी गई और यह 5.225 अरब डॉलर पर पहुंच गई है.
आपको बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कहा था कि भारत मजबूत आर्थिक पुनरुद्धार का अनुभव कर रहा है, और उसने अपनी मौद्रिक नीति में उदार बने रहने का फैसला किया है. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि भारत बहुत मजबूत आर्थिक सुधार देख रहा है, लेकिन अभी भी विभिन्न क्षेत्रों के बीच असमानता है. उनके भाषण के हिस्से को आईएमएफ ने जारी किया. इस वीडियो क्लिप में दास ने कहा कि इसलिए हमने अपनी मौद्रिक नीति में उदार बने रहने का फैसला किया है, जबकि साथ ही मुद्रास्फीति के परिदृश्य पर बारीकी से नजर रखी जा रही है.