पाकिस्तान सरकार ने ईंधन की कीमतों में ताजा बढ़ोतरी की घोषणा की है। इस फैसले को जनता के लिए एक और झटका माना जा रहा है, जो पहले से ही आसमान छूती महंगाई से जूझ रही है।ईंधन की कीमतों में भारी वृद्धि ने पेट्रोल और डीजल की प्रति लीटर कीमत को अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंचा दिया है।सितंबर के पहले 15 दिन के लिए घोषित नवीनतम वृद्धि के अनुसार, पेट्रोल की कीमतों में 14.91 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है, जिससे यह 305 रुपये प्रति लीटर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई है।
डीजल की प्रति लीटर कीमत में भी 18.44 रुपये की बढ़ोतरी हुई है, जिससे यह 311.84 रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई है।पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार दोनों जीवाश्म ईंधनों के दाम 300 रुपये को पार कर गये हैं। देश पहले से मुद्रास्फीति और आर्थिक संकट के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है और हर पाकिस्तानी अपने जीवन पर इसका प्रभाव की महसूस कर रहा है।कार्यवाहक सरकार ने इन समायोजनों के लिए पेट्रोलियम की कीमतों में वैश्विक स्तर पर बढ़ोतरी और इसके अनुरूप विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव को जिम्मेदार ठहराया।
यहां यह उल्लेख करना उचित होगा कि भारी और लगातार बढ़ती मुद्रास्फीति और मूल्य वृद्धि के समानांतर, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये में भी लगातार गिरावट आ रही है। अंतरबैंकिंग मुद्रा बाजार में एक डॉलर की कीमत 305 पाकिस्तानी रुपये और खुले बाजार में 350 पाकिस्तानी रुपये से अधिक हो गया है।देश के शेयर बाजार में गुरुवार को भी भारी गिरावट देखी गई। बेंचमार्क इंडेक्स में एक दिन की दूसरी सबसे बड़ी गिरावट देखी गई, जो लगभग 1,250 अंक (2.7 प्रतिशत) टूट गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार में गिरावट देश की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था, आसन्न ब्याज दरों में बढ़ोतरी की अफवाहों और रुपये की लगातार गिरावट को लेकर चिंताओं से प्रेरित है।पाकिस्तान के अंतरिम वित्त मंत्रालय का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम की कीमतों के वैश्विक रुझान और विनिमय दर में भिन्नता के कारण ईंधन की कीमतों में नवीनतम वृद्धि हुई है।इससे लोगों के बीच गुस्सा और भड़कने की उम्मीद है, जो पहले से ही आसमान छू रहे बिजली बिलों का विरोध कर रहे हैं।
सड़क पर विरोध-प्रदर्शन में हजारों लोग बिल जला रहे हैं और एक आम आदमी के लिए जीवन को असंभव बनाने के लिए सरकार की आलोचना कर रहे हैं।तेजी से बढ़ते विरोध-प्रदर्शनों और सार्वजनिक हंगामे का सरकार के पास कोई समाधान नहीं दिख रहा है क्योंकि वह आईएमएफ कार्यक्रम में बंधी हुई है, जिसने सरकार को आईएमएफ से मंजूरी लिए बिना कोई भी आर्थिक निर्णय लेने से लगभग रोक दिया है। सरकार ने आईएमएफ से संपर्क करने और लगाए गए करों और मूल्य वृद्धि के कारण देश भर में बढ़ते गुस्से और विरोध-प्रदर्शन के बारे में जानकारी देने का फैसला किया है, आईएमएफ कार्यक्रम से विचलित हुए बिना जनता को राहत देने के लिए एक रणनीति बनाने के लिए समाधान और मंजूरी मांगी है।