भारत में कभी लॉन्च नहीं होंगी टेस्ला की कारें, एलन मस्क ने होल्ड पर रखी योजना
इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने वाली कंपनी टेस्ला को अभी भारत में आने की उम्मीद न के बराबर हो गई है। टेस्ला के मालिक ने भारतीय बाजार में टेस्ला के लिए शो-रूम की जगह तलाशना बंद कर दिया है।
इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने वाली कंपनी टेस्ला को अभी भारत में आने की उम्मीद न के बराबर हो गई है। टेस्ला के मालिक ने भारतीय बाजार में टेस्ला के लिए शो-रूम की जगह तलाशना बंद कर दिया है। रॉयटर्स की खबर के मुताबिक, Tesla Inc. ने इंडिया में काम कर रही अपनी टीम के कई लोगों को नई जिम्मेदारियां सौंप दी है। इस मामले से जुड़े तीन लोगों ने बताया कि कंपनी ने अपनी इंडिया की पूरी योजना को होल्ड पर कर दिया है।
आपको बता दें, इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी टेस्ला चाहती थी कि चीन और अमेरिका में बनी उसकी कारों को भारत सरकार कम इंपोर्ट टैक्स के साथ भारत में बेचने की इजाजत दे दे। लेकिन भारत सरकार का कहना था कि इंपोर्ट टैक्स में कोई कमी नहीं कि जाएगी, अगर टेस्ला भारतीय बाजार में अपने गाड़ियों को लॉन्च करना चाहती है तो, उस भारत के अंदर ही मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाकर अपनी कारों का प्रोडक्शन करना होगा।
टेस्ला भारत आकर करे कार मैन्युफैक्चर
पिछले महीने एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी कहा था कि अगर अमेरिका स्थित टेस्ला भारत में अपने इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण करने के लिए तैयार है, तो सरकार को कोई ऐतराज नहीं है, लेकिन कंपनी को चीन से कारों का आयात नहीं किया जाना चाहिए। रायसीना डायलॉग में गडकरी ने कहा कि भारत एक बड़ा बाजार है और सभी इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए एक बड़ी संभावना है।
टेस्ला भारत में अपने इलेक्ट्रिक वाहनों को आयात और बेचने के लिए बेताब है। कंपनी टैरिफ में कटौती के लिए लगभग एक साल तक नई दिल्ली में अधिकारियों की पैरवी की, जो कंपनी के अरबपति मुख्य कार्यकारी अधिकारी एलोन मस्क का कहना है कि दुनिया में सबसे ज्यादा हैं।
पिछले साल, भारी उद्योग मंत्रालय ने भी टेस्ला को किसी भी कर रियायत पर विचार करने से पहले भारत में अपने प्रतिष्ठित इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण शुरू करने के लिए कहा था। आपको बता दें, इस समय टेस्ली की पूरी तरह से निर्मित इकाइयों (सीबीयू) के रूप में आयात की जाने वाली कारों पर इंजन के आकार और लागत, बीमा और माल ढुलाई (सीआईएफ) मूल्य 40,000 अमरीकी डालर से कम या अधिक के आधार पर 60-100 प्रतिशत तक सीमा शुल्क लगता है।