दिसंबर में 13 प्रतिशत घटी चिप की कमी से यात्री वाहन की आपूर्ति
वाहन उद्योग के निकाय सियाम ने शुक्रवार को कहा कि सेमीकंडक्टर की कमी के कारण उत्पादन प्रभावित होने के चलते कारखानों से डीलरों को यात्री गाड़ियों की आपूर्ति पिछले साल दिसंबर में 13 प्रतिशत घटकर पांच साल के न्यूनतम स्तर पर आ गई।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वाहन उद्योग के निकाय सियाम ने शुक्रवार को कहा कि सेमीकंडक्टर की कमी के कारण उत्पादन प्रभावित होने के चलते कारखानों से डीलरों को यात्री गाड़ियों की आपूर्ति पिछले साल दिसंबर में 13 प्रतिशत घटकर पांच साल के न्यूनतम स्तर पर आ गई।
दिसंबर 2020 में 2,52,998 इकाइयों की तुलना में पिछले महीने 2,19,421 इकाइयों की आपूर्ति हुई। उद्योग निकाय ने स्वीकार किया कि अल्पावधि में नाटकीय रूप से चिप की कमी दूर नहीं होगी, लेकिन उम्मीद जताई कि हालात जल्द सुधर जाएंगे।
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2021 में दोपहिया वाहनों की थोक बिक्री भी 11 प्रतिशत गिरकर 10,06,062 इकाई रह गई, जो इससे एक साल पहले की इसी अवधि में 11,27,917 इकाई थी।
पिछले साल दिसंबर में मोटरसाइकिल की बिक्री दो प्रतिशत घटकर 7,26,587 इकाई थी, जो इससे एक साल पहले इसी अवधि में 7,44,237 इकाई थी। स्कूटर की बिक्री भी 24 प्रतिशत घटकर 2,46,080 इकाई रह गई जो इससे एक साल पहले 3,23,757 इकाई थी।
चालू वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही में यात्री वाहनों की बिक्री 15 प्रतिशत घटकर 7,61,124 इकाई रह गई, जो इससे एक साल पहले की समान अवधि में 8,97,908 इकाई थी। इसी दौरान दोपहिया वाहनों की बिक्री 25 प्रतिशत घटकर 35,98,299 इकाई रह गई। एक साल पहले इस तिमही में यह 47,82,110 इकाई थी।
हालांकि व्यावसायिक वाहनों की बिक्री में मामूली वृद्धि हुई है। बीते दिसंबर तिमाही में इस श्रेणी के 1,94,712 वाहन बिके जबकि अक्टूबर-दिसंबर 2020 में यह आंकड़ा 1,93,034 था। तीसरी तिमाही में सभी श्रेणी के वाहनों की बिक्री में 22 फीसदी की कमी आई है। बीते दिसंबर तिमाही में 46,36,549 वाहन बिके जबकि वर्ष 2020 की इसी तिमाही में 59,46,283 गाड़ियां बिकी थी।
सियाम के अध्यक्ष केनिची आयुकावा ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ''अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में बिक्री के आंकड़े ज्यादातर कंपनियों के लिए उम्मीद के मुताबिक नहीं थे। वास्तव में, त्योहारी सीजन की बिक्री पिछले सालों की तुलना में बहुत कमजोर थी। दूसरी लहर (कोविड की) के तुरंत बाद मांग में बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन आपूर्ति पक्ष के मुद्दों के कारण उद्योग को इस मांग को पूरा करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा।''