जल्द मिल सकती है खाद्य तेलों की कीमतों में और राहत, सरकार घटा सकती है टैक्स

Update: 2022-05-24 15:04 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | खाद्य तेलों की कीमतों में जल्द और राहत मिल सकती है. भारत सरकार सोयाबीन (Soybean) और सूरजमुखी के तेल पर आयात शुल्क (Import Duty) घटाने पर विचार कर रही है, ब्लूमबर्ग ने सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी है. सूत्रों के मुताबिक सरकार इस बात पर विचार कर रही है एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट सेस, जो फिलहाल 5% है, को कम किया जाए या इसे खत्म किया जाए. इस सप्ताह इस पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है. फिलहाल सरकार की तरफ से इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. उत्पादों पर लगे सेस का इस्तेमाल सरकार खेती से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में करती है. फिलहाल सरकार खाद्य तेलों (Edible Oil) की कीमतों पर नियंत्रण की कोशिश कर रही है. इस कड़ी में सरकार खाद्य तेलों पर शुल्क को कम कर रही है साथ ही जमाखोरी पर नियंत्रण के लिए नियमों में सख्ती कर रही है.

क्यों आई तेलों की कीमतों में बढ़त
सरकार के कदमों से भले ही तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही हो लेकिन ये अभी भी महंगे स्तरो पर ही हैं. दरअसल कोरोना काल में लगे प्रतिबंधों का उत्पादन पर बुरा असर देखने को मिला था, जिससे कीमतों में बढ़त दर्ज हुई. इस दौरान कई देशों ने घरेलू सप्लाई को बनाए रखने के लिए निर्यात प्रतिबंध भी लगाए जिससे सप्लाई की स्थिति बिगड़ गई. इसके बाद रूस यूक्रेन संकट से स्थितियों और बुरी हो गई. और सूरजमुखी की सप्लाई पर बुरा असर पड़ा. अलग अलग वजहों से सूरजमुखी और पाम तेल की सप्लाई पर असर पड़ने से दूसरे खाद्य तेलों की खपत बढ़ी और उनके दामों में भी असर देखने को मिला.
पाम ऑयल का सप्लाई बढ़ने से भी राहत
वहीं हाल ही में इंडोनेशिया ने पाम तेल पर लगे निर्यात प्रतिबंध को हटाने का ऐलान किया है.पाम तेल निर्यात पर प्रतिबंध की वजह से खाद्य तेलों की कीमतों में बढ़त देखने को मिली थी. अब प्रतिबंध हटने के साथ एक बार फिर सप्लाई बढ़ने की संभावना से कीमतों में नरमी देखने को मिल सकती है. प्रतिबंध का दुनिया के कई ऐसे देशों पर बुरा असर पड़ा था जो खाद्य तेल के आयात पर निर्भर हैं. इसमें भारत भी शामिल है. भारत में खाद्य तेलों की कीमतों में पहले से बढ़त देखने को मिल रही थी. इंडोनेशिया के फैसले के बाद कीमतों पर और दबाव बढ़ गया. हालांकि अब राहत की उम्मीद है इसी के साथ ही पाम ऑयल के विकल्प के रूप में इस्तेमाल होने वाले अन्य तेलों पर भी दबाव घटने की उम्मीद है


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