Galwan हिंसा के बाद चीन को झटका, 43 फीसदी भारतीयों ने नहीं खरीदा चाइनीज सामान

Update: 2021-06-15 12:03 GMT

नई दिल्ली. कभी हिंदी-चीनी भाई-भाई के नारे देश में गूंजा करते थे. इसी का फायदा उठाकर चीन (China) ने भारत को अपने सामान (Chinese goods in India) से लाद दिया था. लेकिन बीते एक साल से बायकाट चीन अभियान के चलते चीन से आयात लगातार कम हो रहा है. इसकी बानगी एक सर्वे में भी सामने आई है.

गलवान घाटी (Galvan Valley)में हुए चीन-भारत संघर्ष (India-China border dispute)के बाद क्या आम भारतीय का मूड भी चीनी उत्पादों के इस्तेमाल को लेकर बदला, इस पर लोकल सर्कल्स ने सर्वे किया है. इसके मुताबिक 43 फीसदी ने कहा कि उन्होंने बीते एक साल में चीन में बना कोई सामान नहीं खरीदा. वहीं जिन लोगों ने सामान खरीदा भी, उनमें 70 फीसदी का कहना था कि उन्होंने प्रॉडक्ट के मुकाबले उसकी कीमत को देखते हुए यानी किफायत की वजह से सामान खरीदा.
लद्दाख की गलवान घाटी में चीन भारत की सीमा में घुस आया था. इसके चलते एक साल पहले भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प हो गई थी. इस झड़प में भारत के कई जवान शहीद हो गए थे. इसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनातनी बढ़ गई थी. जवाब में भारत सरकार ने टिकटॉक समेत चीन के कई लोकप्रिय ऐप्स पर पाबंदी लगा दी थी. यही नहीं, देश में चीन में बने सामान के बहिष्कार (China boycott) की मांग ने भी जोर पकड़ा.
40 फीसदी लोगों ने खासियत और 38 फीसदी ने बेहतर क्लाविटी की वजह से सामान खरीदा. हालांकि, चीन के सामान खरीदने वाले 60 फीसदी ने सिर्फ 1-2 आइटम ही खरीदे. सिर्फ 1 फीसदी लोग ऐसे थे जिन्होंने पिछले एक साल में 20 से ज्यादा चीनी आइटम खरीदे. इसी तरह 15 से 20 चाइनीज आइटम खरीदने वालों की संख्या भी इतनी ही थी.
281 जिलों में रहने वालों लोगों की 18 हजार प्रतिक्रियाएं ली गईं. प्रतिक्रिया देने वालों में 33 फीसद महिलाएं व 67 फीसद पुरुष थे. 44 फीसद लोग टियर एक, 31 फीसद टियर दो व 25 फीसद टियर तीन, चार और ग्रामीण इलाकों से थे.
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