सर्विस सेक्टर जनवरी में पड़ीं नरम, कोरोना प्रतिबंध लगाए जाने के कारण आई मांग में कमी

कंपनियों के बीच चिंता बढ़ी है और कोरोना वायरस महामारी के कारण प्रतिबंधों को फिर से लागू करने और मुद्रास्फीति के दबाव से विकास को नुकसान होगा

Update: 2022-02-03 09:43 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क |  देश में सर्विस सेक्टर (Service Sector) की गतिविधियां जनवरी के महीने में नरम पड़ गईं. कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के बढ़ने के बीच नए कारोबार में काफी धीमी गति से बढ़ोतरी हुई. आज जारी एक मासिक सर्वे में यह कहा गया. मौसमी रूप से समायोजित भारत सेवा व्यापार गतिविधियां सूचकांक (India Services Business Activity Index) जनवरी में मासिक आधार पर घटकर 51.5 रहा, जो दिसंबर में 55.5 था. यह पिछले छह महीने में विस्तार की सबसे धीमी दर की ओर इशारा करता है. यह लगातार छठा महीना है जब सेवा क्षेत्र ने उत्पादन में विस्तार देखा. 'परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स' (PMI) 50 से ऊपर गतिविधियों में तेजी को सूचित करता है जबकि 50 से नीचे गिरावट को बताता है.

सर्वेक्षण में भाग लेने वालों के अनुसार, कोरोना वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप के तेजी से प्रसार से देश के कुछ हिस्सों में प्रतिबंध लगाए जाने के कारण मांग में कमी आई है.
आईएचएस मार्किट की इकनॉमिक्स एसोसिएट निदेशक पॉलिएना डि लीमा ने कहा, महामारी के बढ़ने और प्रतिबंधों को फिर से लगाए जाने से सर्विस सेक्टर के विकास पर नकरात्मक प्रभाव पड़ा. नए कारोबार और उत्पादन दोनों ही मामूली दरों पर बढ़े जो छह महीने में सबसे कमजोर थे.
इसके अलावा कंपनियों के बीच चिंता बढ़ी है और कोरोना वायरस महामारी के कारण प्रतिबंधों को फिर से लागू करने और मुद्रास्फीति के दबाव से विकास को नुकसान होगा.
कोरोना वायरस की मौजूदा लहर की चिंता से प्रभावित होगा बिजनेस
लिमा ने कहा, कोरोना वायरस की मौजूदा लहर कितने समय तक रहेगी, इस चिंता से व्यापार में विश्वास कम होगा और नौकरियों में कमी आएगी.
इस बीच समग्र पीएमआई उत्पादन सूचकांक जनवरी में 53.0 रहा. दिसंबर में यह 56.4 था. यह पिछले छह महीने की अवधि में सबसे धीमी दर को दर्शाता है.
जनवरी के आंकड़ों ने निजी क्षेत्र के रोजगार में लगातार दूसरी मासिक गिरावट की ओर इशारा किया. सर्वेक्षण में कहा गया है कि मामूली होने के बावजूद दिसंबर से नौकरी छूटने की दर में तेजी आई है.
कीमत के मोर्चे पर, जनवरी के आंकड़ों ने सेवा प्रदाताओं के बीच खर्चों में एक मजबूत वृद्धि की ओर इशारा किया, मुद्रास्फीति की समग्र दर दिसंबर 2011 के बाद से उच्चतम स्तर पर चढ़ गई. सर्वेक्षण सदस्यों ने कहा कि उच्च भोजन, ईंधन, सामग्री, कर्मचारी और परिवहन लागत थी.
इस बीच, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति 9 फरवरी को अपनी नीति की घोषणा करने वाली है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को अपने बजट भाषण के दौरान घोषणा की कि सरकार अपनी व्यय आवश्यकता को पूरा करने के लिए 2022-23 में बाजार से लगभग 11.6 लाख करोड़ रुपये उधार लेगी.


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