नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से संकेत मिला है कि वित्त वर्ष 24-25 की पहली तिमाही से पहले दरों में कटौती नहीं की जा सकती और यह बाजार के लिए प्रतिकूल स्थिति होगी। ये बात जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार ने कही है।
उन्होंने कहा, लेकिन बाजार के मजबूत बने रहने की संभावना है। बैंक, पूंजीगत सामान और ऑटो के अच्छा प्रदर्शन करने की संभावना है। अमेरिका के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि मुद्रास्फीति नरम हो रही है। फेडरल रिजर्व के सितंबर में रुकने की संभावना है। इससे वैश्विक इक्विटी बाजारों को समर्थन मिलेगा। उन्होंने कहा कि गुरुवार को आरबीआई के संदेश का एकमात्र नकारात्मक पहलू 2,000 रुपये के नोटों को वापस लेने से बनी अतिरिक्त तरलता है जिसे बेअसर करने के लिए सीआरआर में बढ़ोतरी की गई।
उन्होंने कहा कि इस फैसले का भावनात्मक प्रभाव लंबे समय तक रहने की संभावना नहीं है क्योंकि इससे बैंकिंग क्षेत्र पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि बैंकों के एनपीए में कमी आ रही है और अर्थव्यवस्था में ऋण वृद्धि अच्छी है। शुक्रवार सुबह बीएसई सेंसेक्स 312 अंक गिरकर 65,375 अंक पर था। नुकसान में रहने वाले प्रमुख शेयरों में सन फार्मा, इंडसइंड बैंक, जेएसडब्ल्यू स्टील और एचयूएल शामिल हैं।