SEBI ने किया ऐलान, IPO में पैसा लगाने वालों के लिए बड़ी खबर- बदलने वाले है नियम, जाने

सेबी ने एंकर निवेशकों (Anchor Investors) के लिए लंबे समय तक लॉक-इन करने का सुझाव दिया है. सेबी ने कहा कि एंकर निवेशकों को आवंटित शेयरों की संख्या में से कम से कम आधे में 30 दिनों से ऊपर 90 दिनों या उससे अधिक का लॉक-इन होना चाहिए.

Update: 2021-11-17 05:28 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आईपीओ में पैसा लगाने वालों के लिए बड़ी खबर है. मार्केट रेग्युलेटर सेबी (Sebi) ने इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) के लिए नियमों को सख्त करने का प्रस्ताव दिया है. सेबी ने एंकर निवेशकों (Anchor Investors) के लिए लंबे समय तक लॉक-इन करने का सुझाव दिया है ताकि लिस्टिंग के बाद त्वरित निकासी को रोका जा सके. सेबी ने कहा कि एंकर निवेशकों को आवंटित शेयरों की संख्या में से कम से कम 50 फीसदी शेयर 30 दिनों से ऊपर 90 दिनों या उससे अधिक का लॉक-इन होना चाहिए.

रेग्युलेटर ने प्रस्ताव दिया है कि बाजार से पैसा जुटाने का लक्ष्य रखने वाली कंपनी को केवल एक उद्देश्य के रूप में 'भविष्य में अधिग्रहण के लिए' बताने के बजाय फंड उगाहने के बारे में अधिक स्पष्टता होनी चाहिए. वास्तव में, रेग्युलेटर इनऑर्गेनिक ग्रोथ की फंडिंग के लिए कंपनियों द्वारा आईपीओ के माध्यम से जुटाई जा सकने वाली राशि को सीमित करना चाहता है. हालांकि, नियमों में कोई भी बदलाव तीन-चार महीनों में प्रभावी नहीं हो सकता है.
लोगों से मांगी राय
मार्केट रेगुलेटर सेबी ने इस मामले पर एक कंसल्टेशन पेपर जारी कर लोगों से राय मांगी है. खासकर, नियमों में प्रस्तावित परिवर्तन एक आईपीओ के उद्देश्य से संबंधित हैं, जहां फंड रेजिंग का उद्देश्य विशिष्ट लक्ष्यों की पहचान किए बिना भविष्य के अधिग्रहण/रणनीतिक निवेश करना है. महत्वपूर्ण शेयरधारकों द्वारा बिक्री के लिए शर्तें ऑफर फॉर सेल (OFS), एंकर निवेशकों को आवंटित शेयरों की लॉक-इन और जनरल कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए जुटाई गई धनराशि की निगरानी है.
बोर्ड ने अधिग्रहण और रणनीतिक निवेश के लिए अधिकतम 35 फीसदी आय को सीमित करने का प्रस्ताव किया है. यह सीमा उस स्थिति में लागू नहीं होगी जब अधिग्रहण या रणनीतिक निवेश का लक्ष्य पहले से ही पहचान लिया गया हो और प्रस्ताव दस्तावेज़ में इसका खुलासा किया गया हो.
स्टार्टअप्स और टेक्नोलॉजीज कंपनियों के लिए फंड जुटाना मुश्किल
प्रस्तावित नियम में बदलाव से स्टार्टअप्स और नए जमाने की टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए फंड जुटाना मुश्किल हो सकता है. रेग्युलेटर का यह भी प्रस्ताव है कि कंपनियों को जीसीपी के लिए जुटाई गई रकम के उपयोग के बारे में विस्तृत, त्रैमासिक डिसक्लोज करना चाहिए.
सेबी ने कहा कि फिलहाल कंपनियां जीसीपी के लिए जुटाई गई रकम का 25 फीसदी अलग रख सकती हैं, लेकिन उन पर उतनी सख्ती से नजर नहीं रखी जाती. इसके अलावा, उनकी शेयरधारिता आईपीओ के बाद छह महीने के लिए बंद होनी चाहिए.


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