पीपीएफ आम लोगों के बीच फ्यूचर प्लानिंग का एक लोकप्रिय विकल्प है। पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) में निवेश को एक सुरक्षित निवेश माना जाता है क्योंकि इसकी गारंटी सरकार द्वारा दी जाती है। लेकिन लंबे समय में यह आपको अपने भविष्य के सपनों से समझौता करने के लिए मजबूर कर सकता है।जहां पीपीएफ में निवेश करने के कई कारण हैं, वहीं इसमें निवेश न करने के भी कई कारण हैं। इन 5 कारणों को जानकर आप पता लगा सकते हैं कि कैसे आपको पीपीएफ में निवेश की गई रकम पर बेहतरीन रिटर्न नहीं मिलता है।
पीपीएफ में निवेश नहीं करने के 5 कारण
अगर आप पीपीएफ में निवेश नहीं करना चाहते हैं तो ये 5 कारण जानना आपके लिए बेहद जरूरी है।
कम ब्याज दर: सरकार हर तिमाही में पीपीएफ के लिए ब्याज की घोषणा करती है। लेटेस्ट देखा जाए तो 1 अप्रैल 2023 से इस पर 7.1 फीसदी की दर से ब्याज मिल रहा है. यह एंप्लॉयमेंट प्रॉविडेंट फंड (EPF) पर मिलने वाले 8.15 फीसदी ब्याज से कम है. इसलिए अगर आप अपने ईपीएफ में पीपीएफ के बजाय स्वैच्छिक भविष्य निधि (वीपीएफ) के जरिए अतिरिक्त निवेश करते हैं तो आपको ईपीएफ के ब्याज का लाभ मिलेगा।लंबी लॉक-इन अवधि: पीपीएफ खाते के साथ एक और बुरी बात 15 साल की लॉक-इन अवधि है। जो लोग वास्तव में लंबी अवधि के लिए सुरक्षित निवेश चाहते हैं, उनके लिए यह सही विकल्प है। लेकिन जो लोग शॉर्ट टर्म में निवेश पर अच्छा रिटर्न चाहते हैं, उनके लिए यह सही विकल्प नहीं है। इसके बजाय, वह म्युचुअल फंड की ओर रुख कर सकता है, हालांकि इसमें बाजार का जोखिम शामिल है।
अधिकतम जमा सीमा तय: पीपीएफ में निवेश के साथ एक और समस्या 1.5 लाख रुपये की अधिकतम जमा सीमा है। जबकि वीपीएफ में इसके उलट यह सीमा 2.5 लाख रुपये तक है. जबकि म्यूचुअल फंड में आप अपनी क्षमता के अनुसार निवेश कर सकते हैं।बीच में पैसा निकालने के सख्त नियम अगर आप बीच में ही पीपीएफ से पैसा निकालना चाहते हैं तो आपको कई सख्त नियमों का सामना करना पड़ेगा. पीपीएफ से पैसा 5 साल के बाद ही निकाला जा सकता है। वहीं, इसे कुछ निश्चित शर्तों के तहत ही निकाला जाता है। जबकि बीच में पैसा निकालने पर 1 फीसदी ब्याज की कटौती का सामना करना पड़ता है। ऐसे में जो लोग पीपीएफ में और निवेश नहीं करना चाहते हैं, वे पूरे साल के लिए केवल 500 रुपये जमा करके भी पीपीएफ खाता 15 साल तक खुला रख सकते हैं।
प्री-मैच्योरिटी की इजाजत नहीं: जिस तरह से पीपीएफ से बीच में पैसा निकालना मुश्किल होता है। वहीं, सामान्य परिस्थितियों में इसे मैच्योरिटी पीरियड से पहले बंद नहीं किया जा सकता है। यानी आप चाहें या न चाहें, आपको इसे 15 साल तक एक्टिव रखना होगा। हालांकि, इसे कुछ परिस्थितियों में बंद किया जा सकता है जैसे पति या पत्नी की जानलेवा बीमारी, बच्चों की उच्च शिक्षा और निवेशक की आवासीय स्थिति। इन हालात में भी बीच-बीच में पैसा निकालने के नियम लागू होते हैं।