नई दिल्ली: अमेरिकी डॉलर (Dollar) के मुकाबले रुपये (Rupee) के टूटने का सिलसिला बीते कई दिनों से जारी है. हालांकि, सोमवार को रुपया थोड़ा मजबूत हुआ, लेकिन फिर भी यह 80 के करीब ही है. Indian Currency में आई भारी गिरावट के पीछे क्या कारण हैं. इसके बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने लोकसभा में बताया.
पहले बात करते हैं रुपये के वर्तमान हालात की, तो बता दें Dollar के मुकाबले रुपया 6 पैसे के सुधार के साथ 79.76 के स्तर पर खुला. इससे पहले बीते शुक्रवार को रुपया 79.82 पर बंद हुआ था. पहले ही देश में महंगाई (Inflation) उच्च स्तर पर बनी हुई है, उसपर रुपये में जारी गिरावट से महंगाई और बढ़ने का खतरा बढ़ गया है.
सोमवार को शुरू हुए संसद के मानसून सत्र के पहले दिन लोकसभा में भी रुपये के टूटने का मुद्दा गूंजा. इस संबंध में पूछे गए एक प्रश्न के लिखित जबाव में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने Indian Currency के टूटने की वजह बताई. उन्होंने कहा कि रुपये में गिरावट के लिए वैश्विक कारक जैसे रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (Russia-Ukraine War) और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों (Crude Oil Price) में तेजी जिम्मेदार है.
Nirmala Sitharaman ने शेयर बाजारों (Stock Markets) से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) द्वारा की जा रही जोरदार बिकवाली को भी रुपये में गिरावट के लिए जिम्मेदार बताया है. विदेशी निवेशकों ने वित्त वर्ष 2022-23 में अब तक करीब 14 अरब डॉलर निकाले हैं.
सिर्फ जुलाई में ही एफपीआई ने 7400 करोड़ रुपये की निकासी भारतीय बाजारों से की है. वित्त मंत्री ने दूसरे देशों की करेंसियों का हवाला देते हुए कहा कि Pound, Yen और Euro भारतीय मुद्रा के मुकाबले कहीं ज्यादा कमजोर हुई हैं. यानी 2022 में रुपया इन करेंसियों से मजबूत हुआ है.
रुपये में गिरावट के साथ ही संसद के मानसून सत्र में क्रिप्टो करेंसी (Cryptocurrency) को लेकर भी चर्चा हुई. वित्त मंत्री ने संसदीय कार्यवाही के दौरान क्रिप्टोकरेंसी पर आरबीआई (RBI) के रुख पर प्रकाश डाला. सीतारमण ने बताया, आरबीआई का मानना है कि क्रिप्टो पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए और प्रतिबंध को लागू करने के लिए वैश्विक सहयोग (Global Collaboration) की जरूरत है.