सड़क परिवहन मंत्रालय की योजना, दुर्घटना के बाद जल्दी पहुंचेगी एम्बुलेंस, इस मैकेनिज्म से घायलों को तुरंत मिलेगा इलाज

Update: 2021-02-07 11:01 GMT

नई दिल्ली: सड़क दुर्घटना (Accident) होने के बाद तुरंत घायल को इलाज मिल पाए, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) इसके लिए एक महत्वपूर्ण योजना पर काम कर रहा है. ऐसी तकनीक तैयार की जा रही है जिससे नेशनल हाइवे पर हादसा होने के बाद तुरंत पुलिस और एंबुलेंस (Ambulance) को खबर हो जाए.

बता दें कि इस व्यवस्था में एंबुलेंस (Ambulance) जीपीएस सिस्टम (GPS System) से लैस होगी. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय इस वक्त सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कई नई योजनाओं पर काम कर रहा है. मंत्रालय देशभर के एनआईटी (NIT) और आईआईटी (IIT) जैसे इंजीनियरिंग संस्थानों के साथ मिलकर सड़क हादसों को रोकने पर काम कर रहा है.
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) के सचिव गिरिधर अरमने ने बताया कि रोड सेफ्टी के लिए इमरजेंसी रिस्पॉन्स मैकेनिज्म पर काम किया जा रहा है. एंबुलेंस, हॉस्पिटल और पुलिस कंट्रोल रूम के एक साथ जुड़ने से सड़क दुर्घटना में घायल हुए लोगों को तुरंत इलाज मिल पाएगा. इससे रेस्क्यू ऑपरेशन में भी सुविधा होगी.
गिरिधर अरमने ने कहा कि दुर्घटना होते ही रियल टाइम इन्फॉर्मेशन मिलेगी. जल्द ही सड़क दुर्घटना के शिकार हुए लोगों के लिए कैशलेस ट्रीटमेंट स्कीम शुरू होगी. इस मामले पर स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ बात चल रही है.
बता दें कि सितंबर, 2019 में मोटर व्हीकल एक्ट के नियमों में संशोधन को सख्ती से लागू किए जाने के बाद से देशभर में सड़क दुर्घटनाओं में कमी आई है. साल 2019 के आंकड़ों के अनुसार, देशभर में 449,002 सड़क हादसे हुए, जिसमें 151,113 लोगों की मौत हुई. हालांकि, इससे पिछले साल जब मोटर व्हीकल अमेंडमेंट एक्ट नहीं लागू था, तब 3.86 प्रतिशत ज्यादा सड़क हादसे हुए थे.
मंत्रालय का मानना है कि यातायात नियमों का पालन ना करने पर मोटे जुर्माने और कई अन्य व्यवस्थाओं के चलते सड़कों पर वाहन चलाते समय लोग सावधानी बरतने लगे हैं. जिससे सड़क हादसों में कमी आई है. हालांकि, भारत अब भी सबसे ज्यादा सड़क हादसे वाले देशों में शुमार है.
देश में सड़क हादसों को कम करने के लिए मंत्रालय इन दिनों विश्व बैंक की मदद से इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट्स प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहा है. ब्लैक स्पॉट्स भी चिन्हित किए जा रहे हैं, जहां रोड सेफ्टी से जुड़े प्रबंध हो रहे हैं.
वाहन बनाने वाली कंपनियों को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर के सुरक्षा मानदंडों का पालन करने का निर्देश है. सड़कों की डिजाइनिंग पर भी ध्यान दिया जा रहा है, ताकि सड़क हादसे रुक सकें
मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, कैशलेस ट्रीटमेंट स्कीम आने से पीड़ित परिवारों को काफी फायदा होगा. यह योजना सुप्रीम कोर्ट की इच्छा के अनुसार लाई जा रही है. सूत्रों का कहना है कि योजना लॉन्च होने के बाद सड़क हादसे के शिकार लोगों का ढाई लाख तक का इलाज मुफ्त हो सकेगा.


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