तेल की बढ़ती कीमतें

पेट्रोल की कीमत दो साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है, तो यह अभी बहुत चिंता की न सही, लेकिन विचार की बात जरूर है।

Update: 2020-12-08 03:13 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इन कंपनियों को दी गई इस ताकत के बावजूद केंद्र सरकार की अपनी भूमिका है, जिसे नकारा नहीं जा सकता। वैसे आज सरकार के लिए पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाना मजबूरी भी है, पेट्रोल की कीमत दो साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है, तो यह अभी बहुत चिंता की न सही, लेकिन विचार की बात जरूर है। भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले दिनों बैंक दरों में कोई बदलाव न करते हुए यह जाहिर कर दिया था कि वह बढ़ती महंगाई को रोकने के पक्ष में नहीं है और अब तेल कंपनियों द्वारा लगातार कीमत में बढ़ोतरी यह बता रही है कि केंद्र सरकार भी अभी महंगाई के प्रति गंभीर नहीं है। तभी तो लगातार छठे दिन पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी की गई। सोमवार को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 83.71 रुपये प्रति लीटर हो गई। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के अनुसार, डीजल की कीमत भी संशोधित करते हुए 73.87 रुपये प्रति लीटर कर दी गई है। दिल्ली में सितंबर 2018 में पेट्रोल-डीजल की कीमतें इसी ऊंचाई पर थीं। करीब दो महीने के बाद तेल कंपनियों ने 20 नवंबर से तेल की कीमतों में दैनिक संशोधन शुरू किया है और असर साफ दिख रहा है। पिछले 16 दिनों में ही पेट्रोल की कीमत 2.37 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 3.12 रुपये प्रति लीटर बढ़ी है। गौर करने की बात है, देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में पेट्रोल की कीमत 90.34 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 80.51 रुपये प्रति लीटर हो गई है। कोलकाता व चेन्नई में भी पेट्रोल-डीजल की कीमत में दिल्ली के मुकाबले ज्यादा वृद्धि दिख रही है।


सरकारी नीति के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम व हिन्दुस्तान पेट्रोलियम तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों और विदेशी विनिमय दर के आधार पर प्रतिदिन पेट्रोल व डीजल की दरों में संशोधन करती हैं। इन कंपनियों को दी गई इस ताकत के बावजूद केंद्र सरकार की अपनी भूमिका है, जिसे नकारा नहीं जा सकता। वैसे आज सरकार के लिए पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाना मजबूरी भी है, क्योंकि कोरोना के समय में उसकी कमाई घटी है और विभिन्न योजनाओं और विकास कार्यों के लिए धन चाहिए। पेट्रोल-डीजल से मिलने वाले राजस्व से सरकार को बल मिलता है। चूंकि नया टैक्स लगाना आसान नहीं, उसमें अलोकप्रियता का खतरा होता है, इसलिए सरकार को पेट्रोल-डीजल के जरिए कमाई ज्यादा मुफीद लगती आई है। जैसे-जैसे पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते हैं, वैसे-वैसे सरकार की कमाई भी बढ़ती है। किसानों और उत्पादकों को बल देने के लिए भी महंगाई को जरूरी बताया जा रहा है। कोरोना के प्रभाव में एक समय ऐसा आ गया था, जब रोजमर्रा के सामान की कीमतें घटने लगी थीं। खुदरा मूल्य अलाभकारी होने लगे थे। ऐसे में, महंगाई बढ़ने देना आर्थिक सुधार का एक उपाय है। हालांकि, यह विशेष चिंता का विषय है कि पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से असली उत्पादकों व किसानों को कितना लाभ होगा? इस पर सरकार को जरूर सोचना चाहिए।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत बढ़ने की वजह से तेल कंपनियों को मूल्य में बढ़ोतरी करनी पड़ रही है। ऐसे में, सवाल बड़ा है, कीमत को कहां तक बढ़ने दिया जाएगा? पेट्रोल-डीजल की कीमत अगर ज्यादा बढ़ेगी, तो जाहिर है, महंगाई को सीधे बल मिलेगा, लेकिन सरकार को देखना होगा कि कोरोना व लॉकडाउन से त्रस्त लोग महंगाई को किस हद तक झेलने की स्थिति में हैं। लगे हाथ, सबको यह भी सोच लेना चाहिए कि भारत बंद से महंगाई घटेगी या बढ़ेगी।


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