आरबीआई एमपीसी की बैठक चार अक्तूबर से; रेपो रेट स्थिर रहेगा या होगा इजाफा
भारतीय रिजर्व बैंक इस हफ्ते होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में प्रमुख नीतिगत दर यानी रेपो रेट को 6.5% पर स्थिर रख सकता है। अगर ऐसा होता है तो खुदरा और कॉरपोरेट कर्जदारों के लिए ब्याज दरें स्थिर रह सकती हैं। बता दें कि रूस यूक्रेन युद्ध के बीच रिजर्व बैंक ने मई 2002 में नीतिगत दर बढ़ाना शुरू किया था। इस साल फरवरी में इसे बढ़ाकर 6.5% कर दिया गया था। पिछली तीन बैठकों में रेपो रेट को स्थिर रखा गया था। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक चार से शुरू होकर छह अक्तूबर तक चलेगी। बैठक के नतीजों का एलान छह अक्तूबर को किया जाएगा।
क्या होगा इस बार एमपीसी की बैठक में
जानकारों का मानना है कि इस बार की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में मौजूदा दर संरचना के साथ रेपो रेट को बरकरार रखा जा सकता है। खुदरा मुद्रा स्फीति फिलहाल 6.8% के उच्च स्तर पर है और सितंबर और अक्तूबर महीनों के आंकड़ों में कमी आने की संभावना है। हालांकि खरीफ उत्पादन के बारे में अभी चीजें स्पष्ट नहीं है। यदि इसमें उतार-चढाव होता है तो कीमतों में इजाफा हो भी सकता है।
एमपीसी की आगामी बैठक में रेपो रेट स्थिर रहने की उम्मीदः रेवांकर
श्रीराम फाइनेंस के कार्यकारी उपाध्यक्ष और फाइनेंस इंडस्ट्री डेवलपमेंट काउंसिसल (एफआईडीसी) के अध्यक्ष उमेश रेवांकर ने अमर उजाला से बातचीत में बताया कि पिछली एमपीसी बैठकों में अमेरिका की तुलना में भारत में नीतिगत ब्याज दरों में बहुत अधिक इजाफा नहीं हुआ है। रेवांकर ने कहा, "हमें उम्मीद है कि इस बार के एमपीसी बैठक में भी ब्याज दरों को स्थिर रखा जा सकता है।"
खरीफ उत्पादन पर रहेगी बाजार की नजर
रेवांकर ने कहा, "पिछली दो तिमाही में महंगाई में वृद्धि हुई है। ऐसा खासकर फूड इन्फ्लेशन बढ़ने से हुआ है। फूड इन्फ्लेशन एमपीसी के पहले नियंत्रण दिख रहा है ऐसे आरबीआई रेपो रेट को स्थिर बनाए रख सकता है। इसके अलावे खरीफ आउटपुट पर भी नजर बनी रहेगी। रेवांकर के अनुसार एक ओर जहां अमेरिका में ब्याज दरों में जल्दी-जल्दी इजाफा किया गया। वहां ब्याज दरें पांच प्रतिशत तक बढ़ गईं। दूसरी ओर भारत में महज 250 बेसिस प्वाइंट तक का ही इजाफा हुआ।" रेवांकर के अनुसार खरीफ उत्पादन पर बाजार की नजर बनी हुई है। अगर खरीफ उत्पादन पिछले साल की तरह रहता है तो घबराने की कोई बात नहीं है। पिछले पांच सालों में खरीफ उत्पादन में वृद्धि देखी गई है।
आरबीआई से बैंकों और एनबीएफसी को मिल रहा बहुमूल्य सपोर्ट
रेवांकर के अनुसार देश के केंद्रीय बैंक यानी आरबीआई ने अपना काम बहुत बेहतर ढंग से किया है। इससे बैंकों और एनबीएफसी को काफी मदद मिली है। आरबीआई हमेशा एक सपोर्टिंग रेगुलेटर की भूमिका निभाता रहा है। एनबीएफसी क्राइसिस और कोविड के दौर में आरबीआई ने बैंकों और एनबीएफसी की काफी मदद की है। 15 बड़े एनबीएफसी है जिनकी मदद आरबीआई बैंकों की तरह ही कर रहा है। इससे निवेशकों का विश्वास बढ़ा है। इससे ऋणदाताओं का विश्वास बढ़ा है। रेवांकर के अनुसार भारत में अमेरिका की तुलना में कम बैंक हैं और आरबीआई की ओर से बहुत बेहतर तरीके से सुपरवाइज्ड हैं।"