राहत की खबर: सरकार ने सस्ती की 80 से ज्यादा दवाएं, यहां देखें पूरी लिस्ट
केंद्र सरकार
केंद्र सरकार ने 80 जरूरी दवाओं को एक लेकर एक अहम फैसला लिया. दरअसल नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने 80 से ज्यादा दवाओं को प्राइस रेगुलेशन के अंतर्गत कर दिया है. इसलिए माना रहा है इससे इन दवाओं के दाम कम हो जाएंगे। एनपीपीए ने 81 दवाओं की कीमत तय की है, जिसमें ऑफ-पेटेंट एंटी-डायबिटिक ड्रग्स शामिल हैं. इन दवाओं में डायबिटीज, इंफेक्शन और थायरायड जैसी बिमारियों के इस्तेमाल में आने वाली दवाइंयों के नाम शामिल है.
आपको बता दें कि पेंटेट ब्रांडेड दवाओं की कीमत कंपनियां खुद तय करती हैं वहीं जेनेरिक दवाओं की कीमत को तय करने में सरकार का हस्तक्षेप होता है. जेनेरिक दवाओं की मनमानी कीमत निर्धारित नहीं की जा सकती.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक, डॉक्टर्स अगर मरीजों को जेनेरिक दवाएं प्रिस्क्राइब करें तो विकसित देशों में स्वास्थय खर्च 70 फीसदी और विकासशील देशों में और भी अधिक कम हो सकता है.
क्या है सरकार का फैसला
नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी(एनपीपीए) ने मरीजों को पेटेंट समाप्त होने का लाभ देने के लिए बिना पेटेंट वाली डायबिटीज सहित 81 दवाओं की कीमत को तय कर दिया है.
अब ये दवाएं कैसे होंगी सस्ती
आपको बता दें कि जब कोई कंपनी बीमारियों के इलाज के लिए रिसर्च के बाद एक साल्ट तैयार किया जाता है जिसे दवा की शक्ल दे दी जाती है. इस साल्ट को हर दवा कंपनी अलग-अलग नामों से बेचती है.
कोई इसे महंगे दामों में बेचती है तो कोई सस्ते. लेकिन इस साल्ट का जेनेरिक नाम साल्ट के कंपोजिशन और बीमारी का ध्यान रखते हुए एक विशेष समिति द्वारा निर्धारित किया जाता है. किसी भी साल्ट का जेनेरिक नाम पूरी दुनिया में एक ही होता है.
आपका डॉक्टर जो दवा आपको लिखकर देता है उसी साल्ट की जेनेरिक दवा आपको बहुत सस्ते में मिल सकती है. महंगी दवा और उसी साल्ट की जेनेरिक दवा की कीमत में कम से कम पांच से दस गुना का अंतर होता है. कई बार जेनेरिक दवाओं और ब्रांडेड दवाओं की कीमतों में 80-90 फीसदी तक की कमी आ जाती है.
यहा देखें पूरी लिस्ट
एनपीपीए ने दवा कंपनी वॉकहार्ट की 'इंसुलिन ह्यूमन इंजेक्शन, 200 आईयू/एमएल' और '70 प्रतिशत आइसोफेन इंसुलिन ह्यूमन सस्पेंशन + 30 प्रतिशत इंसुलिन ह्यूमन इंजेक्शन 200 आईयू/एमएल' का खुदरा मूल्य 106.65 रुपये प्रति एमएल (जीएसटी को छोड़कर) तय की है.
दवा कंपनी टॉरंट फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड की 'प्रासुग्रेल हाइड्रोक्लोराइड 10 एमजी (फिल्म कोटेड) + एस्पिरिन 75 एमजी (एंट्रिक कोटेड) कैप्सूल' की कीमत 20.16 रुपये प्रति कैप्सूल (जीएसटी को छोड़कर) तय कर दी है. ये नई कीमतें 17.03.2021 से लागू हो गई हैं.पहले ये दोनों दवाएं 132.50 रुपये प्रति एमएल और 27.26 रुपये प्रति कैप्सूल की एमआरपी पर बिक रही थीं.
छूट की अवधि के दौरान मूल्य नियंत्रण लागू नहीं था. 10.03.2021 को हुई बैठक में एनपीपीए ने छूट की अवधि बीतने के साथ, डीपीसीओ, 2013 के प्रावधानों के तहत इन फॉर्म्यूलेशन की कीमत नियंत्रित करने का फैसला किया.
इसके परिणाम स्वरूप 'इंसुलिन ह्यूमन इंजेक्शन 200 आईयू/एमएल' और '70 प्रतिशत आइसोफेन इंसुलिन ह्यूमन सस्पेंशन + 30 प्रतिशत इंसुलिन ह्यूमन इंजेक्शन 200 आईयू/एमएल' की कीमत मौजूदा मूल्य की तुलना में काफी कम हो गई है. अब ये दवाएं जनता के लिए काफी सस्ती हो गई हैं.
एनपीपीए ने 10 मार्च, 2021 को हुई बैठक में पेटेंट रहित मधुमेह रोधी दवा सहित मौजूद विनिर्माताओं द्वारा लॉन्च की जाने वाली 76 नई दवाओं की खुदरा कीमत भी निर्धारित कर दी है, जिससे मरीजों को पेटेंट समाप्त होने का लाभ पहुंचाने का रास्ता साफ हो गया है.
इसके अलावा, एनपीपीए ने एक संक्रमण रोधी फॉर्म्यूलेशन पोविडोन आयोडीन 7.5 प्रतिशत स्क्रब और थॉयराइड से संबंधित बीमारियों के उपचार में इस्तेमाल होने वाली लेवो-थायरॉक्सिन 37.5 एमजी टैबलेट नाम के दो अनुसूचित फॉर्म्यूलेशन का अधिकतम मूल्य तय कर दिया है, जिससे उनकी वर्तमान कीमत में खासी कमी आ गई है.
अनुसूचित फॉर्म्यूलेशन के वर्तमान अधिकतम मूल्य में संशोधन थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित है, जिसे प्राधिकरण द्वारा ही मंजूरी दी गई थी. संशोधित कीमतें अप्रैल, 2021 से लागू हो जाएंगी.
भारत में रिसर्च पर जोर
एनपीपीए ने स्वदेशी स्तर पर रिसर्च एंड डेवलपमेंट के जरिए विकसित नई दवा आपूर्ति व्यवस्था के क्रम में 'औषध मूल्य नियंत्रण आदेश (डीपीसीओ), 2013 के पैरा 32 के अंतर्गत संबंधित कंपनियों को उक्त उल्लिखित फॉर्म्यूलेशंस के लिए' पांच साल की अवधि के लिए कीमत तय करने की छूट दी थी.